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कानपुर। कानपुर की नई सड़क बवाल के साजिशकर्ता हयात जफर हाशमी ने क्राउड फंडिंग की बात कबूल की है। शहर समेत कई जिलों के लोग उसकी संस्था को रकम देते रहे हैं। इसमें शहर की कई बड़ी हस्तियां भी शामिल हैं। पुलिस अब फंडिंग करने वालों पर शिकंजा कसेगी। हालांकि हयात ने विदेशी फंडिंग की बात नकारी है। पुलिस उसके बैंक खाते खंगाल रही है। हयात और उसके तीन साथी तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर हैं। पुलिस, एटीएस, आईबी के अफसरों ने कई दौर में उनसे पूछताछ की है।

 एसआईटी ने भी पूछताछ की है। सूत्रों के अनुसार जब हयात जफर से फंडिंग के बारे में पूछा गया तो उसने क्राउड फंडिंग की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन को लोग चंदा देते थे। इसमें शहर के कई नेता, बिल्डर, कारोबारी शामिल हैं। छोटी से लेकर बड़ी रकम दी जाती थी। संगठन का प्रसार यूपी भर में कर रखा है। इसलिए अलग-अलग शहरों से भी फंडिंग होती थी। 

बवाल में शामिल थे अपराधी, पूछताछ में लगी मुहर 
बवाल की शुरुआती जांच में सामने आया था कि आईएस-273 गैंग के शातिर अपराधी हिंसा में शामिल थे। अब जब हयात एंड कंपनी से इस बारे में पूछताछ की गई, तो उसने गैंग के अपराधियों के नाम बताए हैं। 

इनमें अफजाल और बाबर समेत अन्य का नाम कबूला है। इन अपराधियों ने बवाल कराने में मुख्य भूमिका निभाई। असलहा आदि भी उपलब्ध कराए। इन सभी को आरोपी बनाया है। फिलहाल अभी ये फरार हैं। 

हॉस्टल भी चलाता था हयात, जांच पड़ताल शुरू 
पुलिस की जांच में सामने आया है कि काकादेव में स्थित पूर्वांचल ब्वॉयज हॉस्टल हयात का है। हॉस्टल में 40 कमरे हैं। पुलिस की टीम ने इस संपत्ति को चिह्नित किया है। सूत्रों के मुताबिक हॉस्टल अवैध रूप से बनाया गया है। इसलिए भविष्य में इस पर भी बुलडोजर चल सकता है। संबंधित विभाग इसकी तैयारी कर रहे हैं। 

शनिवार को हयात जफर हाशमी ने पुलिस अधिकारियों से कहा था कि बवाल के मास्टरमाइंड और लोग हैं, मेरा कोई हाथ नहीं। उसके साथियों जावेद अहमद खान, मोहम्मद राहिल व मोहम्मद सूफियान ने हर सवाल के गोलमोल जवाब देकर पुलिस को गुमराह किया।

एटीएस और पुलिस की टीम चोरों को साउथ जोन के एक थाने में रखकर पूछताछ कर रही है। तीन जून को नई सड़क पर हुए बवाल के मामले में जेल भेजे गए हयात जफर हाशमी, मोहम्मद सुफियान, जावेद अहमद खान और मोहम्मद राहिल को पुलिस ने तीन दिन की रिमांड पर लिया है।

शनिवार को पुलिस चारों को अलग-अलग वाहनों से साउथ जोन के एक थाने लेकर पहुंची, यहां एटीएस और पुलिस की टीम ने अलग-अलग पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार पुलिस ने हयात से पूछा कि उसे हिंसा फैलाने के लिए असलहे किसने दिए, रुपये कहां से आए, उसके निशाने पर चंद्रेश्वर हाता ही क्यों था, उसकी असली मंशा क्या थी। 

बंदी के पोस्टर छपवाने के बाद बंदी न करने का आह्वान किया पर ऐन वक्त पर बाजार बंद कराने के पीछे किसका हाथ था। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जफर हयात ने कहा कि बाजार बंदी का एलान वापस ले लिया था, उसका पूरे मामले से कोई लेना देना नहीं है।