नई दिल्ली। विश्व यूथ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के पहले ही दिन लिओन (मैक्सिको) में विजय प्रजापति (49 भार वर्ग) और आकांक्षा व्यवहारे (40 भार वर्ग) देश को दो रजत पदक दिलाए। अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेल रहे मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के विजय के लिए यह पदक परिवार के दुर्दिन दूर कर सकता है।
मैक्सिको पहुंचते ही 17 साल के विजय को पता लगा कि उनके पिता विक्रम सिंह भोपाल के एक अस्पताल में दाखिल हैं। यह खबर उन्हें उनके परिवार की ओर से नहीं बल्कि दोस्त ने दी थी। विजय पहले ही ठान कर आए थे उन्हें यहां पदक अपने बेरोजगार और ड्राइवर पिता के लिए जीतना है। विजय ने तत्काल पिता को फोन लगाया तो उन्होंने यही कहा कि उनकी चिंता नहीं करनी है बस वह अपना वहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।
पिता के पास वीजा इंटरव्यू के लिए दिल्ली आने के पैसे नहीं थे
विजय बताते हैं कि यह उनके लिए कठिन पल थे, लेकिन उन्होंने निश्चय किया कि वह यहां पदक जीतकर पिता का इलाज कराएंगे। विजय ने स्नैच में 78 और क्लीन एंड जर्क में 98 किलो वजन के साथ कुल 175 किलो भार उठाया और रजत पदक जीता। इक्वाडोर के एंडारा स्रिओलो ने 184 किलो के साथ स्वर्ण जीता। यह विजय का पहला विदेशी दौरा था। नाबालिग होने के कारण वीजा के इंटरव्यू के लिए उनके माता-पिता का साथ होना जरूरी था, लेकिन उनके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे शाजापुर से दिल्ली आ पाते।
विजय ने यह बात शाजापुर वेटलिफ्टिंग के अध्यक्ष कुणाल को बताई। उन्होंने वहां उनके माता-पिता के लिए आठ से 10 हजार रुपये एकत्र किए और उन्हें दिल्ली भेजा। इंटरव्यू के बाद जब उनके पिता शाजापुर पहुंचे तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। उनकी तबियत बिगडने पर उन्हें भोपाल ले जाया गया, जहां उन्हें अस्पताल में दाखिल कर लिया गया, लेकिन इस घटनाक्रम के बारे में विजय को नहीं बताया गया।
पिता पर चढ़े कर्ज को उतारना चाहते हैं विजय
विजय कहते हैं कि वह अपने पिता को लेकर बेहद परेशान हैं। उनकी तीन बड़ी बहनें हैं। दो की शादी पिता ने कर दी है, जिसके चलते उन पर काफी कर्ज है। वह पिता को कर्जमुक्त करना चाहते हैं। वहीं महाराष्ट्र की आकांक्षा ने 40 भार वर्ग में कुल 127 किलो वजन उठाकर रजत जीता।