रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्मचारियों की पेंशन को लेकर भाजपा पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले इन्होंने कर्मचारियों की पेंशन खत्म की। हमने पुरानी पेंशन योजना लागू की तो केंद्र के पास जमा कर्मचारी अंशदान का पैसा नहीं लौटा रहे हैं। ये वन रैंक-वन पेंशन की बात करते थे। अब नो रैंक-नो पेंशन पर आ गए।
रायपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए अग्निपथ योजना से जुड़े सवालों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सबसे पहली बात इन्होंने पेंशन खत्म किया। राजस्थान सरकार और हमने पुरानी पेंशन योजना लागू की। हम चिट्ठी लिख रहे हैं कि हमारे कर्मचारियों के अंशदान का जमा पैसा वापस कर दो। हम उसको वापस मांग रहे हैं। अभी तक तो वापस किया भी नहीं है। पहले वन रैंक, वन पेंशन करते थे। अब नो रैंक, नो पेंशन पर आ गए। जब कोई रैंक ही नहीं है तो पेंशन भी नहीं है। आदमी 58 साल में 60 साल में 62 साल में रिटायर होता था। तब तक वे दादा-नाना बन चुके होते थे। अब तो शादी के कार्ड में लिखेगा भूतपूर्व अग्निवीर। 21 साल में ही वह भूत हो जाएगा। छह महीने की ट्रेनिंग और साढ़े तीन साल सर्विस के बाद उनको रिटायर करके क्या देंगे? 12 लाख रुपए। शादी किए, रिसेप्शन दिए उसी में 12 लाख खत्म।
सेना का राजनीतिकरण करने का लगाया आरोप
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह सेना के साथ मजाक है। ये उन देशों के साथ तुलना करते हैं, जहां जनसंख्या कम है। कोई सेना में जाना नहीं चाहता। वहां अनिवार्य करना पड़ता है। यहां जनसंख्या की भी कमी नहीं है और सेना में जाने के लिए भी लोग लालायित रहते हैं। यही कारण है कि भारत की जो सेना है उसकी पूरी दुनिया में एक धाक है। उसका लोहा मानते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी यहां की सेना लड़ती है। अब उसका भी राजनीतिकरण कर रहे हैं। सरकार की नीति है और तीनों सेनाओं के चीफ से बचाव में बयान दिलवा रहे हैं। वहीं जिन लोगों ने परमवीर चक्र प्राप्त किया है, सेना के भूतपूर्व अधिकारी हैं वे लोग कह रहे हैं कि यह सेना के लिए घातक है। सेना के लिए घातक है तो समझ लें कि सीमा के लिए भी नुकसानदेह है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देकर गिनाए नुकसान
मुख्यमंत्री ने रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का उदाहरण देकर भी 4 साल की सैनिक सेवा के नुकसान गिनाए। उन्होंने कहा कि आज रूस की क्या स्थिति है। उनके पास अस्त्र-शस्त्र की कमी नहीं है लेकिन उसके ठेके के जो सैनिक हैं वे उसे चला नहीं पा रहे हैं। इस कारण यूक्रेन जो एक प्रकार से निहत्था है उसपर कब्जा भी नहीं कर पाए हैं। लड़ भी नहीं पा रहे हैं ठीक से। आपके पास हथियार होने से क्या होता है। चलाना भी तो आना चाहिए।
छह महीने की ट्रेनिंग अपर्याप्त
मुख्यमंत्री ने अग्निपथ योजना के तहत जवानों की छह महीने प्रशिक्षण अवधि को भी अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग आप कह रहे हैं। छह महीने तो मार्चपास्ट सीखने में लग जाएंगे। लेफ्ट-राइट में पैर कितना उठना चाहिए, क्या है। उसको सीखते-सीखते और यूनिफार्म पहनना सीखने में ही छह महीने हो जाएंगे। पुलिस के जवान का यूनिफार्म और सेना के यूनिफार्म में भी बहुत अंतर है। उसको पहनना सीखने में छह महीना बीत जाएगा।