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उदयपुर। उदयपुर में मंगलवार को दिनदहाड़े टेलर कन्हैयालाल की धारदार हथियारों की हत्या के मामले में नए खुलासे हुए हैं। इस मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। कन्हैयालाल ने जान से मारने की धमकियों के बाद सुरक्षा मांगी थी। इस पर पुलिस ने कहा था कि समझौता हो गया है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। इसके बाद भी कन्हैयालाल ने छह दिन दुकान बंद रखी और हाल ही में खोली थी। 

विवाद कुछ दिन पुराना है। कन्हैयालाल के फोन पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की डीपी लगी थी। इस पर उसे धमकियां मिल रही थी। 15 जून को कन्हैयालाल ने पुलिस को शिकायत की थी कि उसकी जान को खतरा है। पुलिस ने समझौता कराया, लेकिन उसके बाद भी कुछ लोग उसकी दुकान की रेकी कर रहे थे। उसे दुकान नहीं खोलने दे रहे थे। उसे आशंका थी कि दुकान खुलते ही वे लोग उसे मारने की कोशिश करेंगे। लगातार धमकियां मिल रही थी।  

कन्हैयालाल ने यह लिखा था अर्जी में 
करीब छह दिन पहले मेरे बेटे से मोबाइल पर गेम खेलते हुए कुछ पोस्ट हो गया था। इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। पोस्ट व डीपी लगाने के दो दिन बाद दो लोग मेरी दुकान पर आए। मोबाइल की मांग की। बोले- आपके मोबाइल से आपत्तिजनक पोस्ट डाली गई है। मैंने कहा कि मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता है। मोबाइल से मेरा बच्चा गेम खेलता है। उसी से हो गया होगा। इसके बाद पोस्ट भी डिलीट कर दी गई थी। उनलोगों ने कहा कि आइंदा से ऐसा मत करना। 

कन्हैयालाल के खिलाफ दर्ज हुई थी शिकायत
उनलोगों के जाने के बाद 11 जून को धानमंडी थाने से फोन आया कि आपके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। आप थाने आ जाओ। कन्हैयालाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर उसी दिन समझौता करा दिया था। एएसआई भंवरलाल की अगुवाई में दोनों पक्षों में बातचीत कराई गई थी। इसके बाद भी जब धमकियां मिलती रहीं तो कन्हैयालाल ने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। इसे पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। कन्हैयालाल से कहा कि मामले का समझौता हो गया है। इस वजह से घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ नहीं होगा। इस पर भरोसा कर कन्हैयालाल ने दुकान खोली थी। भंवरलाल को मंगलवार को सस्पेंड कर दिया गया है। एक अन्य पुलिसकर्मी की भूमिका की जांच चल रही है।  

कन्हैया के परिवार ने लगाए पुलिस पर आरोप
कन्हैयालाल साहू के परिवार का आरोप है कि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो हत्या नहीं होती। नुपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट के बाद से ही कन्हैयालाल को धमकियां मिल रही थीं। कन्हैयालाल को आशंका थी कि उसकी हत्या हो जाएगी।