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नई दिल्ली। अक्तूबर से यात्री कारों, ट्रकों और बसों के लिए नए टायरों को रोलिंग रेसिस्टेंस, वेट ग्रिप (गीली सड़क पर पकड़) और रोलिंग ध्वनि उत्सर्जन के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करना होगा। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है।

टायर के रोलिंग प्रतिरोध का वाहन की फ्लूल एफिशिएंसी (ईंधन दक्षता) पर प्रभाव पड़ता है, वेट ग्रिप क्षमता सड़क की गीली होने की स्थितियों में टायरों के ब्रेकिंग परफॉर्मेंस को प्रभावित करती है और वाहनों की सुरक्षा को बढ़ावा देती है। जबकि रोलिंग ध्वनि उत्सर्जन चलते टायर और सड़क की सतह के बीच संपर्क से निकलने वाली आवाज से जुड़ा है।

बयान में बताया गया, "सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक अधिसूचना जारी की है... यह C1 (यात्री कारों), C2 (हल्के ट्रक) और C3 (ट्रक और बस) के तहत आने वाले टायरों के लिए रोलिंग रेसिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग ध्वनि उत्सर्जन की जरूरतों को अनिवार्य करता है। जैसा कि मोटर वाहन उद्योग मानक 142: 2019 में परिभाषित किया गया है।" 

MoRTH की अधिसूचना के मुताबिक, सभी मौजूदा टायर डिजाइन को अगले अप्रैल से वेट ग्रिप और रोलिंग प्रतिरोध मानकों का पालन करना होगा और अगले जून से कम रोलिंग शोर मानक का पालन करना होगा।

बयान के मुताबिक, इन टायरों में एआईएस (ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड) में बताए गए वेट ग्रिप जरूतों और रोलिंग रेसिस्टेंस और रोलिंग ध्वनि उत्सर्जन की चरण 2 सीमाओं को पूरा करेंगे। 

इसमें कहा गया, इस नियमन के साथ भारत UNECE (यूरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग) के नियमों के साथ जुड़ जाएगा।