
हैदराबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीते छह महीने में तीन तेलंगाना यात्राओं में सीएम केसीआर एक बार भी उनकी आगवानी करने हवाई अड्डे नहीं पहुंचे। लेकिन केसीआर शनिवार को राष्ट्रपति के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का स्वागत करने बेगमपेट हवाई अड्डे पहुंचे। पीएम मोदी भी शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में हिस्सा लेने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे लेकिन केसीआर ने बिना झिझक प्रोटोकॉल तोड़ा और उनका स्वागत करने जाना उचित नहीं समझा।
प्रोटोकॉल की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री की अगवानी करने प्रदेश की सरकार के सिर्फ एक मंत्री हवाई अड्डे पर पहुंचे। उनके अलाव शेष मंत्री सीएम के साथ सिन्हा को लेने गए। 2014 में बनी एनडीए सरकार में हिस्सा रहे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) नेता के इस तरह भाजपा से नजर चुराने और विरोधी बर्ताव करने के अलग-अलग मायने लगाये जा रहे हैं। 2019 से पहले तक टीआरएस एनडीए के हर फैसले में समर्थन करती रही।
2019 के बाद भी हालांकि प्रमुख मुद्दों पर टीआरएस ने समर्थन नहीं किया तो विरोध में मुखर भी नहीं हुई। लेकिन बीते छह महीने में भाजपा और पीएम मोदी के प्रति केसीआर का रुख राजनीति के नए समीकरण बनाने वाला लग रहा है। केसीआर ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करने का एलान भी किया है।
राव ने व्यक्ति नहीं संस्था का अपमान किया
चंद्रशेखर राव के पीएम मोदी के स्वागत में नहीं पहुंचने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, राव ने ऐसा कर के किसी व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था का अपमान किया। पीएम मोदी ने सहकारी संघवाद का आह्वान किया है और विभिन्न दलों के नेताओं से सम्मान के साथ मुलाकात की है। लेकिन केसीआर हमेशा से सांविधानिक प्रोटोकॉल को बाधित करते रहे हैं। राव के बेटे केटी रामाराव के भाजपा की बैठक को लेकर की गई बयानबाजी पर स्मृति ने कहा, उनके लिए राजनीति कोई सर्कस होगी लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं के लिए यह राष्ट्र निर्माण का ही हिस्सा है।
मई और फरवरी में भी तोड़ा प्रोटोकॉल
पीएम मोदी इससे पहले मई में जब तेलंगाना गए थे तो केसीआर उनके स्वागत में नहीं पहुंचे थे। उससे पहले फरवरी में भी जब मोदी हैदराबाद पहुंचे थे तो केसीआर हवाई अड्डे नहीं पहुंचे थे।
फिसली केसीआर की जुबान : सिन्हा की जीत की कामना कर शब्द लिए वापस
नेताओं की जुबान फिसलना नई बात नहीं। आमतौर पर जब नेताओं की जुबां फिसलती है, तो राजनीतिक, सामाजिक या सांप्रदायिक उलझनें बढ़ जाती हैं। बहरहाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की टिप्पणी सोशल मीडिया पर हास्य और चर्चा का विषय बनी है। असल में केसीआर ने शनिवार को विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का एक जनसभा में स्वागत करते हुए कहा, मैं उनकी जीत की मनोकामना करते हुए, अपने शब्द वापस लेता हूं।
उनकी इस टिप्पणी को लेकर सबसे पहले भाजपा के आंध्र प्रदेश के महासचिव विष्णु वर्धन रेड्डी ने ट्वीट कर कहा, सब जानते हैं कि सिन्हा की जीतने उम्मीद न के बराबर है, यहां तक कि उनके समर्थकों (ममता बनर्जी) को भी पता है कि वे नहीं जीत पाएंगे, लेकिन जीत की मनोकामना कर इस तरह शब्द तो वापस नहीं लेने चाहिए थे।
कैप्टन हो सकते हैं राजग से उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) के भाजपा में विलय की अटकलों के बीच सूबे के सियासी हलकों में नई चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए उपराष्ट्रपति पद के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपना प्रत्याशी बना सकती है। हालांकि पंजाब भाजपा के नेता के नेता इस विषय पर साफ तौर पर कुछ भी नहीं कह रहे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कहना है कि इस संबंध में फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त 2022 को समाप्त हो रहा है। कैप्टन की पीएलसी के भाजपा में विलय को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पंजाब में अकेले अपने दम पर लड़ेगी, तब कैप्टन सरीखे अनुभवी नेता का सियासी तजुर्बा पार्टी के काम आ सकता है।
कैप्टन इन दिनों अपने इलाज के लिए विदेश में हैं और उनके लौटने पर ही कुछ साफ हो सकेगा। 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कैप्टन ने अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी गठित की और भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इसके अलावा कैप्टन के प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह के साथ अच्छे संबंध भी जगजाहिर हैं। ऐसे में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद के लिए कैप्टन के नाम पर मुहर लगा सकता है।