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नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने तथा उसमें वर्ल्ड-क्लास सुविधाएं विकसित करने के उद्देश्य से बुधवार को नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी(एनएसयूटी) में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उद्घाटन किया।

श्री सिसोदिया ने कहा कि इस सेंटर की शुरुआत यूनिवर्सिटी द्वारा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एडवांस रिसर्च की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए की गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का होना आज यूनिवर्सिटी के लिए गर्व की बात है। यह यूनिवर्सिटी के हाई-एंड थिंकिंग को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से बढ़ते देशों की गति से मेल खाने के लिए हमें वर्तमान समय से आगे के लिए सोचना होगा जिसकी शुरुआत हमारे यूनिवर्सिटीज से होगी। यदि हमारे यूनिवर्सिटीज समय से आगे सोचेंगे और इनोवेशन अपनाएंगे तो निश्चित रूप से हमारा देश भी समय से आगे होगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में देश की बॉटम लाइन तय होती है लेकिन देश को ऊँचाइयों तक ले जाने का काम उसकी यूनिवर्सिटीज से होता है, इसलिए हम अपनी यूनिवर्सिटीज ऐसे संसाधान व सुविधाएं विकसित कर रहे है जिसका इस्तेमाल कर हमारे युवा देश को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाएं।

उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 सालों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से देश को आगे ले जाना रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक या ब्यूरोक्रेटिक स्थान से देश का भविष्य नहीं बदला जा सकता है, स्कूलों,कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज ही देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाने सकते है और देश का भविष्य बेहतर कर सकते है। इसलिए यदि हमें अपने देश की जड़ों को मजबूत करना है तो हमें स्कूली शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है और अगर हम आसमान को छूना चाहते हैं तो उसके लिए विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों से अच्छे पैकेज मिलना अभी शुरुआत है। इससे पता चलता है कि हमारे स्टूडेंट्स में क्षमता है और हमारे यूनिवर्सिटीज को देश को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उनके साथ काम करना होगा। आज हमारे स्टूडेंट्स 1 करोड़- 1.5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का पैकेज हासिल कर रहे हैं| लेकिन यूनिवर्सिटीज की मदद से हमारे स्टूडेंट्स जल्द ही ऐसी कंपनियां बनाने में सक्षम होंगे जो लोगों को इतनी अधिक वेतन वाली नौकरियां देंगे। 

उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि हमारे छात्र करोड़ों के पैकेज हासिल कर रहे हैं, लेकिन इसका लाभ अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी शिक्षा प्रणाली में एंत्रप्रेन्योरशिप का एक घटक जोड़ने की जरूरत है ताकि वे ऐसे स्टूडेंट्स को तैयार कर सकें जो भारत में एप्पल- गूगल जैसी कंपनियां बनाए और विदेशों से लोग हमारे बच्चों द्वारा बने गई इन कंपनियों में काम करने का सपना देखे। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस हाई-एंड ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट्स, वर्क-स्टेशन, डेटा स्टोरेज और कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस है। सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में 324 जीबी रैम और 8 ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट, 100 टीबी स्टोरेज, स्मार्ट रैक और हाई-स्पीड स्विच के साथ एक अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम भी स्थापित किया गया है, जो 5 पेटाफ्लॉप पर ट्रेनिंग एक्सीक्यूट करने में सक्षम है। यहां केंद्र में 10 हाई-एंड वर्कस्टेशन भी हैं जिनकी स्वतंत्र ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट हैं और ये 256जीबी रैम 10जीबीपीएस कनेक्टिविटी के साथ सुपर कंप्यूटर से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त, उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां 30 टर्मिनल भी प्रदान किए गए हैं। कुल मिलाकर, 40 उपयोगकर्ता एक बार में इस सेंटर का उपयोग कर सकते है।

उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अपना रास्ता बनाने के लिए टीचर्स और स्टूडेंट्स को अपनी आदतें और माइंडसेट को बदलने की जरूरत है। उन्हें लीक से हटकर सोचने की जरूरत है। उन्होंने पंजाब के एक गाँव के भाई-बहनों का उदाहरण दिया जिन्होंने अपने गाँव में एक आईटी कंपनी की शुरुआत की और अपने गाँव तथा आस-पास के क्षेत्र में सैकड़ों इंजीनियरों और तकनीशियनों को रोजगार प्रदान किया। जहाँ लोग ये मानते है कि कोई बड़ा शहर में ही आईटी हब बन सकता है उस पारंपरिक सोच से दूर जाते हुए इन भाई-बहनों ने अपने गाँव को ही आईटी सेंटर बना डाला। उन्होंने कहा, 'यह पारंपरिक विचारों से दूर जाने और आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचते हुए नए इनोवेशन को अपनाने का समय है, तभी हम अपने देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जा सकेंगे।