
भोपाल। मध्यप्रदेश में 'शहर सरकार' की तस्वीर साफ हो गई है। 16 नगर निगमों में भाजपा के 9, कांग्रेस के 5 महापौर प्रत्याशी जीते हैं। सबसे चौंकाने वाला नतीजा सिंगरौली और कटनी का रहा। सिंगरौली में आम आदमी पार्टी की मेयर बनीं। कटनी में जनता ने बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ीं प्रत्याशी को मेयर चुना है।
बीजेपी अपनी जीत पर जश्न मना रही हैं। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि बच्चा कहीं और होता है मिठाइयां ये बांटते हैं। बता दें कि नगरीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण के परिणाम आने के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जश्न का माहौल है। इस दौरान पूर्व सीएम कमलनाथ भी पहुंचे और मीडिया से चर्चा कर जनता का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हम 5 नगर निगम में जीते। एक आम आदमी पार्टी का और एक निर्दलीय जीता। बीजेपी सात सीट हारी। जिसमें से 2 सीट 500 वोट से जीती। आंकड़े सबके सामने हैं। अगर बीजेपी इस पर जश्न मनाना चाहती है तो कोई चिंता नहीं। बच्चा कहीं और होता है, मिठाईयां ये बांटते हैं। हमेशा इनकी ये परंपरा रही है।
इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को हुआ है। पिछली बार से भाजपा को इस बार 7 सीट गंवाना पड़ी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने गढ़ नहीं बचा पाए। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। CM शिवराज सिंह चौहान के दो सभा करने के बाद भी रीवा में कांग्रेस का मेयर बन गया। हालांकि, निगम बोर्ड में भाजपा का ही दबदबा है। 16 में 14 निगम बोर्ड में भाजपा के बनने तय हैं, 2 में कांग्रेस बोर्ड बना सकती है, लेकिन भाजपा जोड़तोड़ कर बोर्ड बनाने की कोशिश में है। मेयर चुनाव में कांग्रेस के तीन वर्तमान विधायकों को भी हार का सामना करना पड़ा।
4 महानगरों में 2-2 मेयर सीट भाजपा-कांग्रेस को
चारों महानगर भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में पहले चरण में वोट डाले गए थे। भोपाल से दो बार पार्षद का चुनाव हार चुकीं बीजेपी की मालती राय ने कांग्रेस की पूर्व महापौर विभा पटेल को हराया। इंदौर से पुष्यमित्र भार्गव जीते। मालती राय ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में जनता ने 56 साल बाद कांग्रेस का मेयर (शोभा सिकरवार) चुना। जबलपुर से भी कांग्रेस कैंडिडेट जगत बहादुर सिंह को जीत मिली।
सबसे छोटी और सबसे बड़ी जीत
इंदौर में बीजेपी प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने 133497 वोटों से जीत दर्ज की। सबसे छोटी जीत बुरहानपुर में बीजेपी की माधुरी पटेल ने 542 मतों से दर्ज की, जबकि यहां नोटा पर ही 677 वोट पड़े। भोपाल में नोटा पर सबसे ज्यादा 8295 वोट पड़े। बुरहानपुर में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। यहां कांग्रेस की हार का बड़ा फैक्टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM है। AIMIM कैंडिडेट को बुरहानपुर से 10 हजार से ज्यादा वोट मिले।
छिंदवाड़ा के मेयर सबसे कम पैसे वाले
सबसे कम पैसे वाले मेयर में छिंदवाड़ा नगर निगम से कांग्रेस के महापौर विक्रम अहाके हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति 3 लाख रुपए बताई थी। 50 हजार का कर्ज भी था। इंदौर नगर निगम में कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला सबसे अमीर हैं, लेकिन वे चुनाव हार गए। उन्होंने नामांकन-पत्र में अपनी संपत्ति 170 करोड़ रुपए बताई थी।
कटनी - सिंगरौली के नतीजों ने चौंकाया
निमम चुनाव में कटनी, सिंगरौली और बुरहानपुर के नतीजों ने चौंकाया है। बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र कटनी में बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय मेयर चुनाव लड़ने वाली प्रीति सुरी को जनता ने चुना। यहां बीजेपी दूसरे, कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। सिंगरौली से आप ने एमपी में एंट्री की। सिंगरौली नगर निगम में ‘आप’ प्रत्याशी रानी से जीत गईं। भाजपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। सामान्य वर्ग की इस सीट पर भाजपा ने चंद्रप्रताप विश्वकर्मा को उम्मीदवार बनाकर ओबीसी कार्ड खेला था, जो फेल हो गया। यही एकमात्र सीट भी है, जहां आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल प्रचार के लिए पहुंचे थे।
कांग्रेस के तीन विधायक हारे
मेयर चुनाव में कांग्रेस ने तीन वर्तमान विधायकों को उतारा था। तीनों हार गए। इंदौर से संजय शुक्ला 133497 वोट से हारे। उज्जैन से महेश परमार 736 वोट से हार गए। सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा 24916 वोट से चुनाव हार गए।