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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के छठे दिन बुधवार को अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर सदन में हंगामा हुआ।  इस मामले को लेकर पक्ष और विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हुई। विपक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआउट किया।

प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पूछा कि कितने कर्मचारियों को नियमित किया गया? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 11 दिसम्बर 2019 को प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव विधि-विधायी, सचिव सामान्य प्रशासन, सचिव वित्त, सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग और सचिव आदिम जाति-अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी की एक बैठक भी हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि विभागों और निगम, मंडल और आयोगों से कार्यरत अनियमित, दैनिक वेतनभोगी और संविदा कर्मचारियों की जानकारी मंगाई गई है। कई विभागों से आ चुके हैं और कई विभागों से आनी बाक़ी है। कई मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं। 28 मई 2019 को महाधिवक्ता को चि_ी लिखकर अभिमत माँगा गया है। कोरोना की वजह से भी देरी हुई। अब हालात सामान्य हो रहे हैं। कब तक होगा समय सीमा बताना निश्चित नहीं है। हमारी कोशिश है कि घोषणा पत्र के वादे पूरे कर दिए जाए।

बीजेपी नेता अजय चंद्राकर ने कहा कि आज ही की प्रश्नोत्तरी में एक जवाब में बताया गया है कि 25 लोगों का नियमितिकरण किया गया है। इसके लिए अभिमत कैसे मिल गया? वहीं बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि कमेटी ने अब तक अनुशंसा नहीं की है? 9 जनवरी 2020 को कमेटी की बैठक हुई थी। ढाई साल बीत गए। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 2020 से 2022 हो गया मगर अब तक अभिमत नहीं आया। शिवरतन शर्मा ने कहा कि सदन को गुमराह किया जा रहा है।

बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है। अनियमितिकरण हो ही नहीं सकता था। 2006 का निर्णय है। जनघोषणा पत्र से लोगों को गुमराह किया गया। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अभिमत भी आएगा और नियमितिकरण भी होगा। इस पर नाराजगी जताते हुए विपक्ष ने नारेबाजी की। स्थिति को देखते हुए आसंदी ने 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की।

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने फिर अनियमित कर्मचारियों के नियमितिकरण का मुद्दा उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं निर्देशित करूँगा कि जल्द से जल्द कमेटी की बैठक आयोजित की जाए। अभिमत की प्रक्रिया तेज की जाए। साथ ही जिन विभागों से जानकारी नहीं आई है। वहाँ से जानकारी जल्द बुलाने के भी निर्देश दूँगा। मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉकआउट किया।