
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है। यह नोटिफिकेशन मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और योगी सरकार में जारी हुआ था। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच में हुई।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति कैटेगरी में शामिल करने का अधिकार केवल भारत की संसद को है। राज्यों को इस मामले में कोई अधिकार नहीं मिला है। इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगाई थी। ओबीसी की मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमन, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी, मछुआ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था।
योगी सरकार ने भी 2019 में जारी किया था नोटिफिकेशन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी, 2017 को इन जातियों को ओबीसी का सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगा दी थी। 24 जून, 2019 को योगी सरकार ने ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया था।योगी सरकार ने तब नोटिफिकेशन जारी किया था। इससे पहले 21 और 22 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन अखिलेश सरकार ने ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी किया था। हालांकि इसका सबसे पहला नोटिफिकेशन 2005 में मुलायम सिंह सरकार ने जारी किया था। उन्होंने ओबीसी की इन 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिश की थी। हालांकि विरोध के बाद मुलायम सरकार ने वह नोटिफिकेशन वापस ले लिया गया था।
5 साल से नहीं दाखिल किया गया काउंटर एफिडेविट
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 साल से राज्य सरकार की ओर से काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया जा रहा था। महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कोर्ट को बताया कि नोटिफिकेशन को बनाए रखने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। इस आधार पर कोर्ट ने तीनों नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है।
कोर्ट में याची अधिवक्ता राकेश गुप्ता की ओर से दलील दी गई कि ओबीसी की जातियों को एससी में शामिल करने का अधिकार केवल भारत की संसद को है। संविधान के अनुच्छेद 341(2) के तहत उसे यह अधिकार मिला है कि अनुसूचित जातियों की सूची में संशोधन कर सकती है। अब जबकि नोटिफिकेशन रद्द हो गया है, 18 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल नहीं किया जा सकेगा।