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नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार शाम 5.30 बजे लगातार दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें बुधवार की तरह विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह मौजूद रहीं। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान ने बुधवार रात को भारत में कई ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल से हमला करने का प्रयास किया, जिसे विफल कर दिया गया। कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि बरामद हमला पाकिस्तानी हमले की पुष्टि करता है। वहीं विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तस्वीर दिखाते हुए कहा कि आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना का क्या काम है। 

कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने 7 अप्रैल की रात भारत में कई ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल से हमले का प्रयास किया। अवंतिपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नाल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज पर अटैक को भारत ने नाकाम कर दिया। इन जगहों पर बरामद मलबा पाकिस्तानी हमले की पुष्टि करते हैं। इसके बाद गुरुवार सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के कई ठिकानों पर एयर सिस्टम को निशाना बनाया। इंडियन अटैक में लाहौर में एयर डिफेंस सिस्टम को नाकाम कर दिया गया। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर अकारण गोलीबारी तेज कर दी है। कुपवाड़ा, बारामूला, मेंढर और पुंछ में भारी गोलाबारी की जा रही है। इसमें 16 लोगों की जान गई, इनमें 3 महिलाएं और 5 बच्चे शामिल थे। भारत ने इसका जवाब दिया। हम तनाव बढ़ाना नहीं चाहते हैं।

हमारा मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना थाः विक्रम मिसरी 
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने आपसे कल भी यही बात की थी। यही कहना चाहूंगा कि भारत तनाव बढ़ाने का काम नहीं कर रहा है। हमारा मकसद सिर्फ 22 अप्रैल के हमले का जवाब देना था। 22 अप्रैल का हमला ही वास्तविक तनाव बढ़ाने वाली घटना थी। इसके बाद ही यह सिलसिला शुरू हुआ। उसका जवाब भारतीय फौज ने कल अपने एक्शन से दिया है। हमारा मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर हमारा टारगेट नहीं थे। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने घटना की जिम्मेदारी ली थी। यह ग्रुप लश्कर का हिस्सा है। भारतीय अधिकारियों ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र को इसकी जानकारी दी थी। हम दोबारा मीटिंग करेंगे और यूएन को अपडेट देंगे। दिलचस्प बात यह है कि जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति की कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान ने टीआरएफ का नाम लेने का विरोध किया, जब टीआरएफ को पता चला कि यह बहुत बड़ी घटना है, तब उसने अपना नाम वापस ले लिया।

पाकिस्तान टेररिज्म का ग्लोबल एपिसेंटर 
पाकिस्तान 22 अप्रैल के आतंकी हमले में किसी भी तरह के इन्वॉल्वमेंट से पल्ला झाड़ना चाह रहा है। पाकिस्तान के मंत्री कह रहे हैं कि उनके देश में कोई आतंकी नहीं है। आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान को ग्लोबल टेररिज्म का एपिसेंटर माना जाता है। दुनियाभर की एजेंसियों और सरकारों के पास इस बात के सबूत हैं। दुनियाभर के आतंकी हमलों में कई पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ है। वह भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्मेदार है। आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को उनके यहां शहीद कहा गया। साजिद मीर के मारने की खबर थी, बाद में उसे जिंदा बता दिया गया ताकि उन पर कोई बात न आए। पिछले दिनों पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से संबंध की बात मानी है।

पाकिस्तान ने सबूतों का इस्तेमाल आतंकियों को बचाने में किए
दूसरा विषय है कि पाकिस्तान दावा करता है कि निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय कमेटी पहलगाम हमले की जांच करे। आप पाकिस्तान का इतिहास और ट्रैक रिकॉर्ड जानते हैं। मुंबई हमला हो, पठानकोट हमला हो, ऐसे कई उदाहरण हैं। मुंबई हमले में भारत और पाकिस्तान की जॉइंट टीम बनाई गई थी। इंडिया ने कहा था कि हम सहयोग करेंगे, हमने पाकिस्तान को फोरेंसिक रिपोर्ट दी थी और कहा था कि पाकिस्तान साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में खड़ा करे। सबूत भी दिया था, पाकिस्तान में केस रजिस्टर हुए, लेकिन इन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया गया। पठानकोट में जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई थी। पाकिस्तानी टीम को हमने हमले वाली जगह जाने की इजाजत दी थी। उनसे डीएनए और दूसरी रिपोर्ट शेयर की थीं। आतंकवादियों के पते भी बताए थे, जैश के लीडर्स के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन जांच में कुछ नहीं हुआ। ऐसे जॉइंट इन्वेस्टिगेशन में हमें अब भरोसा नहीं है। पाकिस्तान ने उन सबूतों का इस्तेमाल आतंकवादियों को बचाने और घटना को छिपाने में ही किया है, जांच में रुकावट डाली।

आतंकियों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा, उनके जनाजे में फौज मौजूद थी
ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी इमारतें ही टारगेट थीं। पाकिस्तान दावा कर रहा है कि भारत के ऑपरेशन में सिर्फ सिविलियन मारे गए। वहां आतंकवादियों के अंतिम संस्कार की तस्वीरें देखिए। अगर सिविलयन मारा गया है तो अफसरों की फौज आतंकी हाफिज अब्दुल राउफ के साथ क्यों आई। आतंकवादियों के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया था। उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार पूरी सच्चाई बयां करता है। पाकिस्तान का दावा पूरी तरह से झूठा है। हमने जिन्हें टारगेट बनाया उनमें कुछ ऐसी इमारतें थीं, जहां कट्टरता की ट्रेनिंग दी जाती थी और इन्हें धार्मिक इमारतों की आड़ में छिपाया जाता था।

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