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0 आबू धाबी के रेस्तरां से चलता था मनी लॉड्रिंग का पूरा खेल

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि पीएफआई के हजारों सदस्य खाड़ी देशों में एक्टिव हैं। जो संगठन के लिए धन जुटाने का काम करते हैं। इन पैसों को अबू धाबी के एक रेस्तरां से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए भारत भेजा जाता था। ईडी के अनुसार पिछले साल पीएफआई ने मनी लॉड्रिंग के जरिए 120 करोड़ रुपए जुटाए हैं।

इन पैसों को लेकर पीएफआई का दावा था कि ये पैसे संगठन ने देश भर में दान के माध्यम से जुटाए हैं। जबकि ईडी ने बताया संगठन ने फर्जी दान रसीद बनाकर भारत में मनी लॉड्रिंग के माध्यम से धन जुटाया और अधिकारियों को गुमराह किया। मनी लॉड्रिंग के लिए थेजस अखबार (मलयालम भाषा की भारतीय ऑनलाइन समाचार वेबसाइट) ने भारत और खाड़ी देशों के बीच माउथ पीस का काम किया।
 
ईडी ने रिमांड एप्लिकेशन में किया है 120 करोड़ रुपए का जिक्र
हाल ही में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पीएफआई 15 राज्यों में स्थित 93 ठिकानों पर छापा मारा था। इस दौरान करीब 106 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई थी। इनमें से केरल से गिरफ्तार पीएफआई के सदस्य शफीक पायथ को 22 सितंबर को लखनऊ की अदालत में पेश किया गया था। इस दौरान ईडी ने अपने रिमांड रिमांड एप्लिकेशन में पीएफआई के अकाउंट में पिछले एक साल में करीब 120 करोड़ रुपये जमा होने का जिक्र किया था। 

ऐसे होता था खेल
ईडी ने बताया कि पीएफआई के कई पदाधिकारी, जो फिलहाल हिरासत में हैं, उन्होंने अबूधाबी के दरबार रेस्तरां को मनी लॉन्ड्रिंग और भारत में अवैध मनी ट्रांसफर के लिए डेन के रूप में इस्तेमाल किया। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले से ही गिरफ्तार अब्दुल रजाक बीपी दरबार रेस्तरां के जरिए पीएफआई और संबंधित संस्थाओं की मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को अंजाम देता था। इस काम में उसका भाई उसकी मदद करता था, जो दरबार रेस्तरां के मैनेजमेंट का काम देखता था। मनी लॉन्ड्रिंग में एक और कंपनी इंडिया स्पाइसेस प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है। कंपनी के मालिक रजाक-तामार बाहर से आने वाले फंड को कम कर के दिखाते थे। शफीक पयेथ ने 2018 तक गल्फ थेजस डेली में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में दो साल तक काम किया। गल्फ थेजस डेली थेजस न्यूजपेपर की ब्रांच है जो इंटरमीडिया पब्लिशिंग लिमिटेड के अधीन थी। अब्दुल रजाक बीपी उस समय कंपनी के डायरेक्टर में से एक थे।

सबके काम तय थे
शफीक पायथ पीएफआई के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। जिनके ऊपर कतर से फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी थी। वहीं अब्दुल रजाक अबूधाबी में अपने निजी नेटवर्क का इस्तेमाल कर दरबार रेस्तरां में मनी लॉन्ड्रिंग के खेल को अंजाम देता था। इन दोनों के काम को आसान बनाता था अशरफ एमके। अशरफ खाड़ी में सभी प्रमुख फंड संग्रह और हवाला सौदों का सरगना था अशरफ केरल में PFI के कार्यकारी परिषद का सदस्य और एर्नाकुलम के PFI का प्रेसिडेंट रह चुका है। 2010 में अशरफ ने एक प्रोफेसर जोसेफ का मामूली कहासुनी के बाद हाथ काट दिया था। अशरफ उस दरबार रेस्तरां का मालिक है जहां से मनी लॉड्रिंग का पूरा खेल चलता था।

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग
दुनियाभर में कई गिरोह मनी लॉन्ड्रिंग का काम करते हैं। सामान्य तौर पर लोग टैक्स बचाने, फर्जी निवेश और खर्च दिखाने, ब्लैक मनी को गलत तरीके से दूसरे देश ले जाने और फिर गैर-कानूनी तरीके से उसी पैसे को अन्य दूसरे रास्ते से वापस देश में लाने के लिए इन गिरोह का इस्तेमाल करते हैं। ये गिरोह बढ़ी ही चालाकी से काले धन को सफेद में बदल देते हैं। बदले में ब्लैक मनी का कुछ प्रतिशत उनके खाते में डाल दिया जाता है।
आसान शब्दों में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग टैक्स बचाने, काले धन को छिपाने, आय का स्रोत नहीं बताने और ब्लैक मनी को सफेद करने की एक गैर-कानूनी प्रक्रिया है।

ऐसे होती है मनी लॉन्ड्रिंग
गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसे कैश में होते हैं, सो सबसे पहले इस कैश को एक जगह इकट्ठा किया जाता है। फिर मनी लॉन्ड्रिंग का काम करने वाले गिरोह फर्जी कंपनियों के जरिए उस कैश को उन देशों में भेजते हैं, जहां टैक्स से जुड़े नियम बेहद आसान होते है। इसके बाद इन्हीं फर्जी कंपनियों के थ्रु वही पैसा फिर से भारत में इन्वेस्टमेंट के तौर वापस लाया जाता है। एजेंट इन पैसों को अकाउंट में इतनी चालाकी से दर्शाते हैं कि जांच एजेंसियों को उनके सोर्स का पता नहीं चले।