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नई दिल्ली। रेलवे के इतिहास में रविवार को एक नया अध्याय जुड़ गया जब रेलमंत्री ने देश की पहली स्वदेशी एल्युमीनियम रैक वाली मालगाड़ी को ओडिशा के भुवनेश्वर में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मालगाड़ी हल्की होने के साथ ही अधिक माल ढुलाई में सक्षम है। इसे बेस्को लिमिटेड वैगन डिवीजन और एल्युनियम कंपनी हिंडाल्को के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका कार्बन फुटप्रिंट भी कम है। प्रत्येक एल्युमीनियम रैक सेवाकाल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।

बता दें रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने झंडी दिखाकर रेक को रवाना किया। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने कहा, मौजूदा स्टील रेक की तुलना में यह रेक 180 टन हल्का है, जिसके परिणामस्वरूप समान दूरी के लिए गति में वृद्धि और कम बिजली की खपत होती है। यह पारंपरिक रेक पर प्रति ट्रिप 180 टन अतिरिक्त पेलोड ले जा सकता है और जंग ना लगने वाला होने के कारण रखरखाव की लागत को कम करेगा।

निकेल और कैडमियम का आयात भी होगा कम
इन वैगनों के निर्माण के लिए पूरी तरह से लॉक बोल्ट निर्माण का उपयोग किया गया था, जिसके कारण इसके अधिरचना पर कोई वेल्डिंग नहीं है। रेलवे ने कहा कि नए रेक का पुनर्विक्रय मूल्य 80 प्रतिशत है और सामान्य रेक की तुलना में 10 साल अधिक लंबा है, लेकिन विनिर्माण लागत 35 प्रतिशत अधिक है क्योंकि इसका निर्माण एल्यूमीनियम से हुआ है। लोहा और इस्पात उद्योग निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत करता है जिसका आयात किया जाता है। एक अधिकारी ने कहा कि इसलिए एल्युमीनियम वैगनों के प्रसार से आयात कम होगा और साथ ही यह घरेलू एल्युमीनियम उद्योग के लिए भी अच्छा साबित होगा।