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0 लड़ाकू विमानों के लिए अपग्रेड कर रहा न्योमा एयरफील्ड

लेह। लद्दाख में चीन को मात देने के लिए भारत एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। दरअसल हाल ही में कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन पूर्वी लद्दाख से सटे इलाकों में भारी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। अब चीन को काउंटर करने के लिए भारत जल्द ही न्योमा में एक नए हवाई क्षेत्र का निर्माण शुरू करने जा रहा है। न्योमा पूर्वी लद्दाख का बेहद अहम एरिया है। 

भारतीय सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि भारत जल्द ही एलएसी से 50 किलोमीटर से कम दूरी पर लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपने न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के अपग्रेडेशन के लिए निर्माण कार्य शुरू करने जा रहा है। चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान न्योमा हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल जवानों और सामग्री के परिवहन के लिए किया गया है। इस हवाई क्षेत्र में चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर और सी-130जे स्पेशल ऑपरेशंस विमानों को भी उतारा जा चुका है। 

वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने एएनआई को बताया, "न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) को जल्द ही लड़ाकू विमान संचालन के लिए अपग्रेड किया जाएगा। अधिकांश आवश्यक मंजूरी और अप्रूवल पहले ही आ चुके हैं। योजना के अनुसार, नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाएगा।" एएलजी के अपग्रेडेशन से वायुसेना को बहुत ताकत मिलेगी। 
 
इस क्षेत्र से लड़ाकू विमानों के संचालन की क्षमता से वायु सेना की विरोधियों द्वारा किसी भी दुस्साहस से तेजी से निपटने की क्षमता मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में मोदी सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद पूर्वी लद्दाख सेक्टर में निर्माण कार्य का उद्घाटन जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।

भारत पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित कई हवाई क्षेत्रों के विकास पर विचार कर रहा है। यह इलाके चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से कुछ ही मिनटों की दूरी पर हैं। न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर पहले ही वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर को उतारा जा चुका है व गरुड़ स्पेशल फोर्स ऑपरेशन का भी यहां संचालन किया गया है। 

हाल ही में, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अजय राठी ने न्योमा जैसे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के महत्व को समझाया था। राठी ने कहा कि न्योमा एएलजी का वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब होने के कारण रणनीतिक महत्व है। यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है। यह पूर्वी लद्दाख में जवानों और सामग्री की त्वरित आवाजाही को सक्षम बनाता है। 

भारतीय वायु सेना की क्षमता होगी मजबूत
इस कदम से फाइटर एयरक्राफ्ट ऑपरेशन्स की क्षमता और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की क्षमता मजबूत होगी। साथ ही आईएएफ को दुश्मनों से निपटने में भी मदद करेगा। इसके अलावा भारत पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा में हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए कई विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। न्योमा ALG MI-17 से लेकर अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर और गरुड़ स्पेशल फोर्स के साथ ऑपरेशन्स कर चुका है।

एएलजी का क्या है महत्व
हाल ही में भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन अजय राठी ने न्योमा जैसे ALG के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि न्योमा ALG का LAC के करीब होने के कारण रणनीतिक महत्व है। यह लेह एयरफील्ड और LAC के बीच महत्वपूर्ण अंतर को दर्शाता है, जिससे पूर्वी लद्दाख में सैनिक और सामग्री की आवाजाही को सक्षम बनाता है।

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