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0 अब एससी का 13%, एसटी का 32%, ओबीसी का 27% और ईडब्ल्यूएस का 4% कोटा

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को आरक्षण संशोधन संबंधी दो नए विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अब इसे राज्यपाल को भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर करने के बाद विधेयक अधिनियम बन जाएंगे। असाधारण राजपत्र में प्रकाशित होते ही यह प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों को लिए आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। उसके बाद ही प्रदेश में नई भर्तियों और स्कूल-कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी होगा। 
बता दें कि उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आए एक फैसले से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो गया है। अब आरक्षण विधेयक पारित हो जाने के बाद नई भर्ती प्रक्रिया फिर शुरू हो पाएगी। 

सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विधेयक के पारित होने के बाद आज ही हमारे वरिष्ठ मंत्री इस पर दस्तखत करने के लिए राज्यपाल के पास जाएंगे। हम सुप्रीम कोर्ट में भी क्वांटिफिएबल डाटा के साथ कोर्ट में भी अपना पक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से अपील करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, रमन सिंह, बृजमोहन अजय चंद्राकर, बसपा और जनता कांग्रेस के विधायक संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री से मिलें। इसमें दलगत बात नहीं होनी चाहिए। इससे पहले विपक्ष इन विधेयकों के लिए संशोधन प्रस्ताव लाया।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई। सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है। सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया। पहले डाटा पेश कर देते। फिर कानून बना लेते। सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज का दिन संविधांन के लिए काला दिन है। क्या छोटे से चुनाव के लिए संविधान के विरुद्ध कानून बनाएंगे। धरमलाल कौशिक ने कहा कि इस बात की क्या गारंटी है कि कल कोई कुणाल शुक्ला इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती नहीं देगा।

इन कानूनों से मिलेगा आरक्षण
छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग (एससी) को 32%, अनुसूचित जाति (एससी) को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों (ईडब्ल्यूएस) को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।

प्रदेश में अब आरक्षण 68% से बढ़कर 76% हुआ
विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित होने के बाद छत्तीसगढ़ में अब आरक्षण 68% से बढ़कर 76% हो गया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अभी 19 सितम्बर तक 68% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया।

नौवीं अनुसूची का संरक्षण मांगने पर भाजपा का वॉकआउट
विधेयकों के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक शासकीय संकल्प पेश किया। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि वह छत्तीसगढ़ के दोनों आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल विषयों को सामान्य तौर पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। 
वहीं भाजपा ने इस संकल्प का विरोध किया। भाजपा के अजय चंद्राकर का कहना था कि  सरकार केवल गुमराह करने के लिए नौवीं अनुसूची का संकल्प लाई है। देश के पांच राज्य 50% से अधिक आरक्षण दे रहे हैं। सभी को न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है। केस चल रहा है। यह विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक कवायद है ताकि सरकार एक साल तक यह कह सके कि हमनें तो केंद्र को संकल्प भेजा है। इसके बाद भारी हंगामे के बीच भाजपा सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। भाजपा की गैर मौजूदगी में सदन ने संकल्प पारित कर दिया। अब इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

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