0 इस साल एवरेज रिटेल इन्फ्लेशन 7.1% रह सकता है
नई दिल्ली/वाशिंगटन। वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष (2022-2023) में 6.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे पहले अक्टूबर में इसने जीडीपी अनुमान को पहले के 7.5% से घटाकर 6.5% किया था।
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ग्लोबल झटकों से अच्छी तरह निपट रही है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस साल एवरेज रिटेल महंगाई 7.1% रह सकती है।
आरबीआई का 7% ग्रोथ का अनुमान
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में वित्तीय वर्ष 2023 के लिए रियल डीजीपी ग्रोथ का अनुमान 7% रखा है। वहीं अगली दो तिमाही में आरबीआई का जीडीपी अनुमान 4.6% का है। कल आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस है। इसमें भी जीडीपी अनुमानों को जारी किया जाएगा।
क्या है जीडीपी?
जीडीपी इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। जीडीपी देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है।
दो तरह की होती है जीडीपी
जीडीपी दो तरह की होती है। रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी। रियल जीडीपी में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू पर किया जाता है। फिलहाल जीडीपी को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे, उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल जीडीपी का कैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है।
कैसे कैलकुलेट की जाती है जीडीपी?
जीडीपी को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। जीडीपी= सी+जी+आई+एनएक्स, यहां सी का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, जी का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, आई का मतलब इन्वेस्टमेंट और एनएक्स का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।
जीडीपी की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
जीडीपी को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये जीडीपी में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।
इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका जीडीपी में 11% योगदान है। और चौथा है, नोट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट जीडीपी पर निगेटिव ही पड़ता है।
जीवीए क्या है?
ग्रॉस वैल्यू ऐडेड, यानी जीवीए से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो जीवीए इकोनॉमी की ओवरऑल हेल्थ के बारे में बताने के अलावा, यह भी बताता है कि कौन से सेक्टर संघर्ष कर रहे हैं और कौन से रिकवरी को लीड कर रहे हैं। नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर जीडीपी में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह जीवीए होता है।