नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गुरु गोबिंद सिंह जी के साहबजादों की शहादत को याद करते हुए वीर बाल दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पीएम मोदी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पहुंचे और यहां शबद कीर्तन सुना। ये कीर्तन 300 बाल कीर्तनियों ने गाया था।
इससे पहले सोमवार सुबह पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर साहिबजादों और माता गूजरी जी के बलिदान को लेकर श्रद्धांजलि दी। पीएम ने 9 जनवरी, 2022 को प्रकाश पर्व पर घोषणा की थी कि सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के चारों साहबजादों को श्रद्धांजलि देते हुए इस साल से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ मनाया जाएगा।
गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों लड़के शहीदी को प्राप्त हुए थे। लेकिन यह दिवस खासतौर से साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को याद करने के लिए मनाया जा रहा है, जो 6 और 9 साल की छोटी उम्र में शहीद हुए।
मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर पंजाब के सिरहिंद में दोनों साहिबजादों को जहां दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था, उस जगह को फतेहगढ़ साहिब के नाम से जाना जाता है।
साहिबजादों का बलिदान हमें प्रेरित करता हैः पीएम मोदी
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया का इतिहास जुल्म और अन्याय की कहानियों से भरा पड़ा है। तीन सौ साल पहले चमकौर और सिरहिंद में युद्ध लड़े गए। इनमें एक तरफ मुगल साम्राज्य था जो सांप्रदायिक चरमपंथ के प्रति अंधा था और दूसरी तरफ हमारे गुरु थे। एक तरफ आतंकवाद था और दूसरी तरफ आध्यात्म। एक तरफ सांप्रदायिक अशांति थी तो दूसरी तरफ स्वतंत्रता थी। एक तरफ लाखों की संख्या में सैनिक थे और दूसरी तरफ साहिबजादे थे जो पीछे नहीं हटे। साहिबजादे हमें प्रेरित करने वाली पीढ़ी है।
औरंगजेब के आतंक के खिलाफ डटकर खड़े रहे गुरु गोबिंद सिंह जी
पीएम मोदी बोले- गुरु गोबिंद सिंह औरंगजेब के आतंक और भारत को बदलने की उसकी नीयत के खिलाफ डटकर खड़े रहे। औरंगजेब और उसके लोग तलवार का डर दिखाकर गुरु गोबिंद सिंह और उनके बच्चों का धर्म बदलना चाहते थे, लेकिन वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हए। एक देश जहां का इतिहास ऐसा है उसे तो आत्मविश्ववास से भरा होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमें कुछ खास कहानियां ही पढ़ाई गईं, जिससे हीनभावना आती है। अगर हम भारत को नई ऊंचाईयों तक ले जाना चाहते हैं तो हमें इतिहास को छोटे नजरिए से देखना बंद करना होगा।