नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात और उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता अधिनियम लागू करने के लिए जांच समिति गठित करने के राज्य सरकारों के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 162 का हवाला देते हुए अधिवक्ता अनूप बरनवाल की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 162 के अनुसार, कार्यकारी आदेश बताता है कि विधायिका ने इसे अनुमति दी है। इस वजह से चुनौती नहीं दी जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने याचिका को सुनवाई के योग्य नहीं मानते हुए हैरानी जताई और कहा कि इस पर सुनवाई करने का कोई आधार नहीं है।
गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले समान नागरिक संहिता लागू करने की संभावना की जांच के लिए समिति बनाने का फैसला किया था।
इसी प्रकार उत्तराखंड सरकार ने भी पिछले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाने निर्णय लिया था।