नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय मोहम्मद फैजल पीपी की लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र की सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की कथित देरी के खिलाफ उनकी याचिका पर 28 मार्च को सुनवाई करेगा।
याचिकाकर्ता मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद 11 जनवरी 2023 को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 13 जनवरी को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। हालांकि, उनकी सजा और 10 साल की जेल की सजा पर 25 जनवरी में रोक लगा दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने सोमवार को मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। उनके 'विशेष उल्लेख' पर गौर करते हुए पीठ ने 28 मार्च को सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।
श्री सिंघवी ने सदस्यता बहाली के संदर्भ में पीठ के समक्ष कहा कि सात पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल उच्च न्यायालय द्वारा उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक के खिलाफ केंद्र शासित लक्ष्यदीप प्रशासन द्वारा दायर मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सुनवाई हो सकती है।
याचिकाकर्ता की इन दलीलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मंगलवार को तत्काल रिट याचिका पर सुनवाई की अनुमति दी।
पीठ शुरू में मामले को पांच अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना चाहती थी।
याचिकाकर्ता राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता ने अधिवक्ता के आर शशिप्रभु के माध्यम से दायर उनकी याचिका में निवेदन किया है कि लोकसभा सचिवालय 13 जनवरी 2023 को जारी उस अधिसूचना को वापस लेने में विफल रहा है, जिसमें उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया गया था।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा इस तथ्य के बावजूद हुआ है कि याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि (जो कि अधिसूचना का आधार थी) पर केरल उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी 2023 को रोक लगा दी थी और सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।