नई दिल्ली। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि भारत में दुनिया की कौशल राजधानी के रूप में उभरने की क्षमता है और ग्रामीण विकास मंत्रालय और नियोक्ताओं के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन इस उद्देश्य की दिशा में पहला कदम है।
श्री सिंह ने कहा कि पहले चरण में 31,000 से अधिक ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करने और रोजगार प्रदान करने के लिए 19 नियोक्ताओं को लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि इस योजना के तहत सृजित नौकरियों की संख्या 30,000 से बढ़कर भविष्य में 1,30,000 हो जाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कैप्टिव एम्प्लॉयर योजना नौकरी चाहने वाले और नौकरी देने वालों के बीच की खाई को पाटेगी। उन्होंने सहयोगी नियोक्ताओं से इस योजना में बदलाव लाने के लिए इसे और अधिक फायदेमंद और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि मंत्रालय के साथ-साथ राज्यों को सीआईआई, फिक्की, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स और एमएसएमई संघों के साथ बैठकें आयोजित करने की जरूरत है।
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने इस मौके पर कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय, अपने डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम और भागीदार परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करके और इस तरह उन्हें सशक्त बनाकर उनकी प्लेटफॉर्म खोजने में उन्हें आर्थिक रूप से मदद कर रहा है। उन्होंने नियोक्ताओं को भी प्रोत्साहित किया कि वे अन्य उद्योग भागीदारों को इस योजना में भाग लेने के लिए सूचित करें और कुशल मानव संसाधन की आपूर्ति करने के रूप में पुरस्कार प्राप्त करें। उन्होंने नियोक्ताओं से अन्य उद्योगों को इस योजना में भाग लेने के लिए प्रेरित करने तथा इसके माध्यम से कुशल मानव संसाधन की आपूर्ति का पुरस्कार प्राप्त करने की अपील की।
इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस अवसर पर कहा कि यह एक 'रोजगार मेला' है, युवाओं की संख्या और योजना में उनका विश्वास जितना अधिक होगा, उतना ही अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है और यह वास्तविक मेक इन इंडिया है।
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इस अवसर पर कहा कि कैप्टिव रोजगार कार्यक्रम मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा,“ प्रत्येक व्यक्ति अपार संभावनाओं का स्रोत है। यह पहल हमारे युवाओं को उनकी क्षमता बढ़ाएगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी। साथ ही, यह उद्योग की मानव संसाधन जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी।
इस अवसर पर डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम के तहत ग्रामीण युवाओं को आजीविका प्रदान करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) की महत्वाकांक्षी पहल में कैप्टिव नियोक्ताओं के रूप में जोड़ने के लिए 19 नियोक्ताओं के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस मौके पर डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किए जा रहे और ऑन-जॉब ट्रेनिंग से गुजर रहे 10 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र भी सौंपे गए। चयनित कैप्टिव नियोक्ता ग्रामीण गरीब युवाओं को उनके संबंधित उद्योगों यानी हॉस्पिटेलिटी परिधान और वस्त्र, विनिर्माण, आईटी/आईटीईएस, दूरसंचार, खुदरा, बिजली आदि में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
इस अनूठी पहल के माध्यम से ग्रामीण गरीब युवाओं को 31,000 से अधिक नौकरियां प्रदान किए जाने की उम्मीद है। नवीनतम पहल का उद्देश्य संबंधित पीआईए के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना है, जो उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
'कैप्टिव एम्प्लॉयमेंट' अपनी तरह की पहली पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए स्थायी प्लेसमेंट सुनिश्चित करने वाले उद्योग भागीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले एक गतिशील और मांग-आधारित स्किल ईकोसिस्टम तैयार करना है। यह पहल डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम के लिए एक पहल है, जो न्यूनतम 10,000 रुपये के सीटीसी के साथ कम से कम छह महीने के लिए उम्मीदवारों के प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट का आश्वासन देती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण गरीबों के लिए उनकी नौकरी की जरूरतों और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा। यह कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों में भी योगदान देगा।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तत्वावधान में ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्लेसमेंट से जुड़ा कौशल कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम ग्रामीण गरीब युवाओं की रोजगार की जरूरतों पूरा करता है। इसे 25 सितंबर 2014 को लॉन्च किया गया था और यह केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ इसे वित्त पोषित किया गया है।
इस कार्यक्रम में प्लेसमेंट पर जोर देते हुए ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए 27 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है। 877 से अधिक पीआईए (परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियां) 2,369 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से लगभग 616 रोजगार भूमिकाओं में ग्रामीण गरीब युवाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं। कुल 14.08 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है और कार्यक्रम के तहत स्थापना के बाद से 8.39 लाख उम्मीदवारों को रखा गया
है।