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नई दिल्ली। बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी दिन गुरुवार को कांग्रेस तथा विपक्ष के कई दलों ने यहां संसद भवन परिसर से तिरंगा मार्च निकाला और कहा कि यह उनकी लोकतंत्र को बचाने और बोलने का अधिकार बरकरार रखने की लड़ाई है।

तिरंगा मार्च लोकसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद यहां संसद भवन परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने से निकाला गया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी तथा विपक्षी दलों के सांसदों ने भाग लिया। मार्च में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्य हाथों में तिरंगा लेकर यात्रा में शामिल हुए।

श्री खड़गे ने मार्च के दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अदानी महाघोटाले पर मोदी सरकार डरी हुई है, इसलिए वह संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन नहीं करना चाहती है। कांग्रेस तथा विपक्ष के संसद सदस्य इसी मांग को लेकर संसद भवन से विजय चौक तक तिरंगा मार्च निकाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में लोकतांत्रिक तरीके से लड़ना हमारा अधिकार है। अगर सरकार यह नहीं मानती तो वह हठधर्मी है। अगर आप लोकतंत्र को जिंदा रखना चाहते हैं, तो विपक्ष की बात भी सुननी चाहिए। मोदी सरकार अदानी महाघोटाले पर पूछे जाने वाले सवालों से डरी हुई है, इसलिए इस घोटाले की जांच के लिए जेपीसी का गठन नहीं करना चाहती है।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि अदानी किन देशों के प्रधानमंत्रियों, उद्योगपतियों से मिले हैं। उन्हें सरकार की मदद से कौन से ऑर्डर मिले हैं। इस मुद्दे पर विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार जेपीसी का गठन करे लेकिन सरकार इसके गठन से डर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने घोटाले पर सरकार से सवाल किया लेकिन सरकार मुद्दे से ध्यान भटकाने में लगी है।”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ लोकतंत्र की बातें करती है लेकिन जो कहती है वह करती नहीं है। सरकार ने 50 लाख करोड़ का बजट सिर्फ 12 मिनट में पास कर दिया और कहती रही कि विपक्ष हंगामा कर रहा है। ऐसा पहली बार हुआ, जब संसद को सरकार ने नहीं चलने दिया। 
कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार खुद ही संसद नहीं चलने देना चाहती है। सवाल है कि वह अदानी घोटाले पर चर्चा कराने से क्यों डर रही है।
इस बीच यह भी जानकारी मिली है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्र की समाप्ति के बाद आज शाम चाय पार्टी का आयोजन किया है लेकिन इस चाय पार्टी में कांग्रेस सहित 13 विपक्षी दलों के नेता शामिल नहीं हो रहे हैं।