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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार लोगों को देश की सदियों पुरानी परंपराओं और संस्कृति से जोड़ने के लिए कई कदम उठा रही है तथा मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग में प्रवेश किया है।

श्री सिंह ने सोमवार को गुजरात के सोमनाथ में सौराष्ट्र-तमिल संगम में अपने संबोधन के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को देश की सदियों पुरानी परंपराओं और संस्कृतियों से जोड़ने के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि देश की अत्यंत प्राचीन परंपराएं ताकत और एकता को दर्शाती हैं, जो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए योग्यता और क्षमता प्रदान करती हैं।

रक्षा मंत्री ने 'सांस्कृतिक सुरक्षा' सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे सीमाओं की सुरक्षा और खाद्य, ऊर्जा, पर्यावरण, साइबर और अंतरिक्ष जैसे अन्य पहलुओं के समान ही आवश्यक बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार सांस्कृतिक सुरक्षा पर जोर दे रही है और सांस्कृतिक एकता बनाए रखने की दिशा में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने सौराष्ट्र और तमिलनाडु के संगम वाले इस कार्यक्रम को भारत की सांस्कृतिक एकता का उत्सव और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का शानदार उदाहरण बताया।

सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंधों के बारे में भी श्री सिंह ने प्रकाश डाला और कहा कि ये संबंध एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। उन्होंने कहा, "सौराष्ट्र पर ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई बार हमला किया गया था। यह वह दौर था जब सौराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग दक्षिण भारत पलायन कर गए। उस दौरान तमिलनाडु के लोगों ने उनका स्वागत किया और एक नया जीवन शुरू करने में उनकी मदद की।” उन्होंने सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने संबंध के कई उदाहरण दिए और इन्हें एकीकृत भारत के चमकते अध्यायों में से एक के रूप में वर्णित किया।
इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुनदराराजन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी उपस्थित थे।