रायपुर। छत्तीसगढ़ में लंबित आरक्षण संशोधन विधेयक पर एक बार फिर राजनीति छिड़ गई है। कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के लिए जब राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से मीडिया ने आरक्षण के मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने कह दिया कि मैं राज्यपाल हूं, राजनीतिक मामलों पर सीएम से पूछिए, राज्यपाल की अपनी सीमाएं होती हैं। वहीं सीएम भूपेश बघेल से जब यही सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है।
इससे पहले राज्यपाल हरिचंदन का एक संक्षिप्त बयान आया था कि वह मामला क्लोज हो चुका है।
इधर, मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैंने तो प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उधर से जवाब नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर भाजपा आरक्षण के खिलाफ में है। विधानसभा से जो पारित है, वो विधेयक राजभवन में अटका है। हमें कृषि महाविद्यालय शुरू करने हैं और भी महाविद्यालय खोले जा रहे हैं। अब हमें भर्ती करनी है, स्टाफ की, असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती करनी पड़ेगी, लेकिन जब तक कि आरक्षण बिल अटका हुआ है, तब तक हम भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। बहुत सारे विभाग हैं, जिनमें हमें भर्ती करनी है, मगर भर्ती अटकी है। चाहे एजुकेशन हो, पुलिस हो, हेल्थ डिपार्टमेंट हो, एग्रीकल्चर की बात हो, इरीगेशन की बात हो, सब में भर्ती करनी है। एग्जाम भी होना है। उसमें भी आरक्षण का मामला है, इसलिए फैसला करना चाहिए।
बता दें कि राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्व सम्मति से संशोधन विधेयक पारित किया गया था। इसमें अनुसूचित जनजाति को 32, ओबीसी को 27, अनुसूचित जाति को 13 और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। इसे तात्कालीन राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उईके के पास भेजा गया था, लेकिन राजभवन में इस विधेयक को समीक्षा के लिए रोक दिया गया, जो अभी तक पेंडिंग है।