कोल्हापुर। महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का संक्षिप्त बीमारी के बाद मंगलवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में निधन हो गया। उनके बेटे तुषार गांधी ने इस बात की जानकारी दी है।
न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 89 साल के लेखक और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता का अंतिम संस्कार आज कोल्हापुर में किया जाएगा। 14 अप्रैल, 1934 को डरबन में मणिलाल गांधी और सुशीला मशरूवाला के घर जन्मे अरुण गांधी एक कार्यकर्ता के रूप में अपने दादा के नक्शेकदम पर कार्य करते थे।
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का हुए थे शिकार
arungandhi.net वेबसाइट के एक लेख के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में परवरिश के समय में उनको काफी रंगभेद के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वहां के लोग अक्सर उनके रंग के लेकर उनका मजाक उड़ाते थे। उसके बावजूद भी उन्होंने अपने दादा की तरह की अंहिसा को अपना हाथियार और उसी के बल पर वहां के लोगों के दिल में अपने लिए अलग स्थान बनाया। उनका कहना था वो अपने दादा की सीख पर अपना पूरा जीवन जीया है।
30 सालों तक की पत्रकारिता
अरुण गांधी ने 30 सालों तक पत्रकारिता भी है। उनकी पत्नी सुनंदा एक सोशल वर्कर है। जिन्होंने महाराष्ट्र में कई बच्चों का पालन पोषण किया है। वहीं उनके बेटे तुषार गांधी भी लेखन की दुनिया में सक्रिय है। हाल में ही तुषार गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को जिम्मेदार ठहाराया था। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के साथ खड़े होने का भी वादा किया था।