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0 कोर्ट ने ममता सरकार से कहा- लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। फिल्म द केरला स्टोरी पर पश्चिम बंगाल में लगा बैन सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताते हुए फिल्म को बैन किया था। इस पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बरकरार रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसकी आड़ लेकर सरकार फिल्म पर पाबंदी लगाना ठीक नहीं हैं। ऐसा हुआ तो सारी फिल्में इस दायरे में आ जाएंगी।

सीजेआई ने मेकर्स से कहा कि फिल्म के डिस्क्लेमर में ये लाइन लिखें- धर्म बदलने वाले लोगों का आंकड़ा 32000 या कुछ और, इस फैक्ट की ऑथेन्टिक डेटा मौजूद नहीं है। फिल्म की कहानी काल्पनिक विषय पर आधारित है। यह डिस्क्लेमर 20 मई 2023 को शाम 5 बजे से पहले तक जोड़ दिया जाए।

फिल्म पर पश्चिम बंगाल में सरकार ने और तमिलनाडु में थियेटर ऑनर्स ने बैन लगाया था। कोलकाता और मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट अब इन दोनों हाईकोर्ट के फैसले पर गर्मियों की छुट्टी के बाद 18 जुलाई को सुनवाई करेगा।

सरकार ने शैडो बैन के आरोपों को झूठ बताया था
तमिलनाडु सरकार ने फिल्म मेकर्स के शैडो बैन करने के आरोपों का भी खंडन किया था। सरकार ने कहा कि फिल्म को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज किया गया था और फिल्म मेकर्स के पास ऐसा कोई लिखित में सबूत नहीं है जिसमें सरकार की तरफ से फिल्म स्क्रीनिंग बंद करने की बात कही गई हो।

तमिलनाडु में मुस्लिम संगठनों ने किया था प्रदर्शन
केरला स्टोरी के खिलाफ 5 मई को मुस्लिम संगठनों ने करीब 20 जगहों पर प्रदर्शन किया था। इसके बाद 6 मई को चेन्नई और फिर अगले दिन कोयम्बटूर में विरोध हुआ। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुल 9 मामले दर्ज किए गए जिसमें चेन्नई में पांच और कोयम्बटूर में चार मामले दर्ज किए गए।