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नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दीप प्रज्जवलित कर ब्रह्मा कुमारी संस्था की ओर से चलाई जा रही सकारात्मक परिवर्तन वर्ष परियोजना का राष्ट्रीय शुभारंभ करते हुए रविवार को कहा कि पिछले आठ दशक से ब्रह्मा कुमारी संस्था व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण से विश्व निर्माण का कार्य कर रही हैं।
विश्व योग दिवस के उपलक्ष में ब्रह्मा कुमारी संस्था द्वारा स्थानीय इन्दिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आयोजित एक विशाल सार्वजनिक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री बिड़ला ने कहा की पिछले आठ दशक से ब्रह्मा कुमारी संस्था व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण से विश्व निर्माण का कार्य कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस सकारात्मक परिवर्तन वर्ष में यह विश्व व्यापी संस्था राजयोग शिक्षा के माध्यम से लोगों के अंदर नयी सकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक चेतना तथा सकारात्मक प्रेरणा विकसित करेगा। भारत आज इसी आध्यात्मिक ज्ञान एवं योग ध्यान से विश्व को प्रेरणादाई नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में है।
उन्होंने आगे कहा कि वह बहुत नजदीक से ब्रह्माकुमारी संस्था की उन गतिविधियों के बारे में जानते हैं जिससे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के मानव समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य संभव है। ब्रह्माकुमारी संस्था के भाई बहनों के स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन वाली सिद्धांत शीघ्र ही साकार व सार्थक हों सकता है, अगर जनता इसे आचरण में लाए तो।
ब्रम्हाकुमारी के मुख्य प्रवक्ता राजयोगी बी के बृजमोहन ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने स्लोगन दिया है दया धर्म का मूल है। इसलिए परमपिता को दयालु, कृपालु वा क्षमा करने वाला कहते, जो कि सभी कर्म विधान से ऊपर है। उन्होंने कहा, हम परमात्मा की संतान होने के नाते, हमे उनके गुणों को जैसे की दया, प्रेम, शांति, आनंद, सहयोग आदि को अपने में लाने है। उस के लिए हमे राजयोग के द्वारा परमात्मा से संबंध जोड़ना होगा, तभी स्वयं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की सह संपादक तथा स्पीकिंग ट्री के पुर्व मुख्य संपादक नारायणी गणेश ने सकारात्मक परिवर्तन के लिए 5 परिवर्तन के सूत्र प्रस्तुत किये। 1-व्यक्तिगत आंतरिक परिवर्तन, जिससे सामुहिक परिवर्तन संभव होगा। 2- क्रोध को समाप्त करने की कला से हम अपनी ऊर्जा का सकारात्मक दिशा में प्रवाह कर पायेंगे। 3- जीवन में दया और करुणा के समावेश से समाज की अद्भुत, अलौकिक सेवा होगी। 4- मौन और नैतिक मूल्य का जीवन में समावेश और 5. सोच समझ कर ही प्रतिक्रिया करनी है। इसके लिए उन्होंने आध्यात्मिकता की आवश्यकता तथा राजयोग अभ्यास को अपनाने पर जोर दिया।
गुरुग्राम पटौदी से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने इस अवसर पर कहा कि धरती पर स्वर्ग कहीं है तो माउंट आबू में शिव परमात्मा ने आवरण किए हैं। एक बार आबू के बाबू (शिव परमात्मा) के काबू में आ जाओ तो जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जायेगी। साथ ही जीवन जीने की कला यहीं से सीखी जा सकती है।
ओमशांति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम की निर्देशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आशा ने कहा कि सकारात्मक परिवर्तन के लिए जरूरी है कि जैसा विश्व हम चाहते हैं वैसा ही हमें कर्म करने चाहिए अर्थात यदि हमे सुखमय दुनिया चाहिए तो हमे दूसरों को सुख देने वाले कर्म करने चाहिए।
इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध प्रेरक वक्ता शिवानी बहन ने प्रेरणा दी कि संसार परिवर्तन होगा व्यक्ति के संस्कार परिवर्तन से, और संस्कार परिवर्तन का साधन है परमात्मा के साथ रूहानी योग वा राजयोग। उन्हों ने सभी को राजयोग ध्यान का अभ्यास कराकर गहन शांती व आत्म शक्ति का अनुभव कराई।
इस अवसर पर ‘भारत का प्राचीन योग’ पैनल डिस्कशन में विभिन्न ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्रो की निर्देशिका राजयोगिनी बी के चक्रधारी, बी के शुक्ला, बी के गीता, बी के पुष्पा ने स्पष्ट किया कि योग - आत्मा का परमात्मा से संबंध है। आत्मा जो इस शरीर को चलाने वाली ज्योति शक्ति है, परमात्मा जो ज्योति के देश परमधाम निवासी है से संबंध जोड़ने से शक्ति, प्रेम आनंद, सुख, शांति से भरपूर हो जाती है। इस योग को राजयोग कहा जाता है इससे मन, विचारों पर नियंत्रण कर लेने से कर्मेंद्रियों पर नियंत्रण करने की मेहनत नही करनी पड़ती।
इस अवसर पर एक सर्व धर्म संगोष्ठी हुई, जिसमें बहाई धर्म के ऐ के मर्चेंट, यहूदी धर्म के ई आई मालेकर, इस्लाम धर्म के जनाब मोहम्मद सलीम इंजीनियर एवम ईसाई धर्म के फादर फेलिक्स जोन्स ने अपनी विचार रखें, विश्व शांति व सदभावना के लिए शुभकामनाएं दी। हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉक्टर मोहित गुप्ता ने राजयोग की हीलिंग पावर पर अनुभव साझा किए। ब्रह्माकुमारी संस्था विगत 87 वर्षों से मानवता के नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हेतु 140 देशों में 8000 से अधिक सेवा केंद्रों द्वारा सेवारत है।