0 50 किमी दूर उत्तराखंड के ओल्ड लिपुलेख की पहाड़ियों से देख सकेंगे
नई दिल्ली। कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए नया रूट मिल गया है। अब चीन जाने की जरूरत नहीं होगी। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई से कैलाश पर्वत के दर्शन हो पाएंगे। यहां स्थित लिपुलेख की पहाड़ियों से कैलाश मानसरोवर साफ दिखाई दे रहा है।
इस नए रूट को लेकर हाल ही में सरकारी अफसरों और विशेषज्ञों की एक टीम ओल्ड लिपुलेख पहुंची थी। उन्होंने वहां रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के पॉइंट तक जाने का रूट सहित अन्य चीजों को लेकर रिसर्च की। जल्द ही वे अपनी रिपोर्ट पर्यटन मंत्रालय को सौंपेंगे। इसके बाद इस रूट पर काम शुरू हो जाएगा।
विशेषज्ञों की टीम की एक सदस्य कृति चंद ने बताया कि लिपुलेख की जिस पहाड़ी से पर्वत दिखता है वह नाभीढ़ांग के ठीक 2 किलोमीटर ऊपर है। यहां से कैलाश मानसरोवर की हवाई दूरी 50 किलोमीटर है। इस नए रूट से लोग अब 4-5 दिन में अपनी कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी कर सकते हैं।
साल 2019 में आखिरी बार लोगों ने दर्शन के लिए यात्रा की थी। उसके बाद से किसी ना किसी कारण से कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित हो रही थी।
स्थानीय लोगों ने ढूंढा कैलाश पर्वत का रास्ता
यह दावा किया जा रहा है कि अब तक यह रूट किसी को पता नहीं था, लेकिन जब कुछ स्थानीय लोग ओल्ड लिपुलेख की पहाड़ी के ऊपर पहुंचे तो वहां से कैलाश पर्वत काफी करीब और दिव्य दिखाई दिया। उन्होंने अफसरों को इसकी सूचना दी।
2 किलोमीटर की चढ़ाई के लिए रास्ता बनाना पड़ेगा
पर्यटन विभाग का कहना है कि ओल्ड लिपुलेख पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो आसान तो नही है। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए भी रास्ता बनाया जा सकता है। स्नो स्कूटर की मदद से श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पहाड़ी की चोटी तक पहुंचाया जा सकता है।
रास्ता बनने के बाद दिल्ली से 4-5 दिनों में पूरी हो सकती है यात्रा
जानकारों के मुताबिक, पिथौरागढ़ में यह नया रूट बनने के बाद कैलाश-मानसरोवर यात्रा दिल्ली से चार से पांच दिनों में पूरी की जा सकती है। श्रद्धालुओं सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी के रास्ते नाभीढांग तक पहुंचना होगा। इसके बाद दो किलोमीटर की चढ़ाई को पैदल तय करना होगा।
लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं
स्थानीय लोगों का यह भी दावा है कि ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं, ऐसे में ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर के करीब से कैलाश पर्वत के दर्शन होने से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन गतिविधियों में तेजी आ सकती है।
अभी यात्रा में लगते हैं 2 से 3 हफ्ते
कैलाश यात्रा 3 अलग-अलग राजमार्ग से होती है। पहला- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), दूसरा- नाथू दर्रा (सिक्किम) और तीसरा- काठमांडू। इन तीनों रास्तों पर कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का समय लगता है। 2019 में 31 हजार भारतीय यात्रा पर गए थे, उसके बाद चार साल यात्रा बंद रही थी।