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0 रिश्तेदारों को 98 लाख बांटने का आरोप, तीन साल से फरार था अफसर

रायपुर। आय से अधिक संपत्ति और दो अन्य केस में फंसे पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक रह चुके एके चतुर्वेदी को ईओडब्ल्यू-एसीबी की टीम ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोप हैं कि अफसर ने निगम में पद में रहते हुए करोड़ों के घपले किए। सूत्रों के अनुसार अधिकारी को एसीबी ने शुक्रवार तड़के आंध्रप्रदेश से गिरफ्तार किया।  फरार चल अफसर के कई दिनों से आंध्रप्रदेश में होने की जानकारी सामने आ रही थी। रायपुर में चतुर्वेदी का घर है।  
चतुर्वेदी के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हैं। उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली हुई थी, लेकिन बाद में जमानत खारिज हो गई थी। इसके बाद से वे फरार चल रहे थे। 
बताया जाता है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी की टीम लगातार उनके करीबियों से पूछताछ कर रही थी। जानकारी के आधार पर ईओडब्ल्यू-एसीबी की टीम आंध्रप्रदेश पहुंची और वहां गुंटूर जिले से हिरासत में लिया गया। गिरफ्तार चतुर्वेदी को कल जिला अदालत में पेश किया जा सकता है।  ईओडब्ल्यू-एसीबी उन्हें रिमांड पर ले सकती है। पूछताछ में कई और खुलासे हो सकते हैं। चतुर्वेदी पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व चेयरमैन देवजी भाई पटेल के करीबी माने जाते हैं। वे उनके ब्रेवरेज कार्पोरेशन के चेयरमैन रहते विशेष सहायक थे। फिर देवजी पटेल के पापुनि के चेयरमैन बनने के बाद पापुनि में आ गए। यहां उनकी पोस्टिंग निगम के महाप्रबंधक के पद पर हुई। इस दौरान अनियमितताओं के कई मामले में उनकी भूमिका सामने आई थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद चतुर्वेदी के खिलाफ शिकायतों की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू-एसीबी को सौंप दिया था। तब से जांच चल रही थी। चतुर्वेदी मूलतः पंचायत विभाग के अफसर हैं और वे पापुनि में प्रतिनियुक्ति पर थे। 

ये थे आरोप
तीन साल पहले 2020-21 में पाठ्य पुस्तक निगम बोर्ड में 6 करोड़ का टेंडर घोटाला सामने आया था। अफसरों ने स्कूलों में ग्रीन और मैग्नेटिक बोर्ड सप्लाई के लिए टेंडर निकाला, फिर जिस कंपनी को ठेका देना था उसके साथ सांठगांठ कर दो बड़ी कंपनियों के नाम से फर्जी टेंडर भर दिए। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बोर्ड के तत्कालीन जीएम अशोक चतुर्वेदी अपनी करीबी कंपनी को ठेका दिलवा दिया था।

जांच के बाद घोटाले का पर्दाफाश होने पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने जीएम और उसके करीबी कर्मियों और ठेका लेने वाली फर्म के जिम्मेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज किया था। ईओडब्ल्यू ने जीएम के अलावा ठेका लेने वाली फर्म के हितेश चौबे और फर्जीवाड़े में शामिल उनकी कंपनी के स्टाफ बृजेंद्र तिवारी और निगम की निविदा समिति के सदस्यों के खिलाफ भी अपराध पंजीबद्ध किया था। मामले की जांच चल रही थी।

अनुदान घर रिश्तेदारों को बांट दिया

चतुर्वेदी के खिलाफ ये जानकारी भी सामने आई कि पाठ्य पुस्तक निगम (पापुनि) में वर्ष 2017-18 और 2019 के दौरान स्वेच्छानुदान के नाम पर 98 लाख के गोलमाल का खुलासा किया गया। किसी को इलाज के नाम पर तो किसी को सामान खरीदने के लिए पैसे दे दिए। पैसे जिन्हें दिए गए, उनका न तो पापुनि से कोई संबंध है और न ही उन्होंने निगम के लिए कोई योगदान दिया है। इस मामले की शिकायतकर्ता विनोद तिवारी ने भी की थी। उन्होंने पापुनि के तत्कालीन जीएम अशोक चतुर्वेदी पर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी कि उन्होंने अपने नाते-रिश्तेदारों और परिचितों के लिए इस राशि का उपयोग किया था। इसलिए पापुनि की ओर से चतुर्वेदी से ही इसकी पूरी वसूली की जानी चाहिए और उन्हें शासकीय सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए।