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नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले 27 जून को भोपाल में पार्टी के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की चर्चा छेड़ दी। इस मामले में कांग्रेस ने कहा कि यूसीसी पर सबकी सहमति जरूरी है। वहीं बसपा चीफ मायावती ने कहा कि इसका विरोध नहीं है, लेकिन भाजपा का तरीका गलत है। 

प्रधानमंत्री के यूसीसी की वकालत के बाद लॉ एंड ऑर्डर मामलों की पार्लियामेंट्री कमेटी ने भी इस पर राय-मशविरा के लिए 3 जुलाई को एक अहम बैठक बुलाई है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी 20 जुलाई से संसद का सत्र बुलाने की घोषणा कर दी है। 

यूसीसी पर आम आदमी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बाद अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता के विरोध में नहीं है। मगर संविधान इसे थोपने का समर्थन नहीं करता है। यूसीसी लागू करने के बीजेपी मॉडल पर हमारी असहमति है। भाजपा यूसीसी के जरिए संकीर्ण मानसिकता की राजनीति करने की कोशिश कर रही है।

इधर, शनिवार को कांग्रेस ने भी सोनिया गांधी के घर 10 जनपथ पर पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी ग्रुप (पीएसजी) की बैठक बुलाई। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि 15 जून को ही हमने कह दिया था कि, सभी पक्षों की सहमति से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में लागू की जानी चाहिए।

केरल की मुस्लिम संस्था यूसीसी के विरोध में
केरल की मुस्लिम संस्था समस्त केरल जेम-इयातुल उलमा ने भी यूसीसी का विरोध किया है। संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद जिफ्री ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि दूसरे धर्म जैसे- ईसाई, बौद्ध और जैन भी यूनिवर्सल सिविल कोड को स्वीकार नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों में शादी, तलाक और विरासत धर्म का ही हिस्सा हैं। इनके लिए कुछ रूल्स और रेगुलेशन बनाए गए हैं, जिनका पालन करना होता है।