नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने नकली दवा बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा है कि दवाओं की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
श्री मांडविया ने मंगलवार को यहां छोटे उद्योग क्षेत्र की दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कहा कि दवा कंपनियों को स्व नियमन पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमएसएमई फार्मा कंपनियों के लिए दवाओं की गुणवत्ता के प्रति सतर्क रहना और स्व-विनियमन से अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं की ओर तेजी से आगे बढ़ना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री ने भारत के लिए 'विश्व की फार्मेसी' का दर्जा बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति उत्पादों की गुणवत्ता से बनी है। इसीलिए गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी फार्मा कंपनियों पर अनुसूची-एम को अनिवार्य बनाया जाएगा। इससे गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और अनुपालन बोझ भी कम होगा।
श्री मांडविया ने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को नकली दवा बनाने वाली सभी दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया । उन्होंने जोर दिया कि भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दवा बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण करने के लिए विशेष दस्ते बनाए गए हैं और दोषी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। फार्मा उत्पादों की श्रेष्ठ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, नियामक अधिकारियों ने संयंत्रों का जोखिम-आधारित निरीक्षण और ऑडिट शुरू किया है। उन्होंने कहा कि 137 फर्मों का निरीक्षण किया गया और 105 फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 31 फर्मों में उत्पादन बंद कर दिया गया है और 50 फर्मों के खिलाफ उत्पाद लाइसेंस रद्द करने और निलंबन जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 73 फर्मों को कारण बताओ नोटिस तथा 21 फर्मों के विरूद्ध चेतावनी पत्र जारी किये गये हैं।