Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 236 किमी दूर इंजन कुछ देर के लिए चालू होगा
0 स्पीड 40,270 किमी/घंटा से ज्यादा हो जाएगी

बेंगलुरु। इसरो के वैज्ञानिक आज रात 12 से 1 बजे के बीच चंद्रयान-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजेंगे। इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन (टीएलआई) कहा जाता है। चंद्रयान अभी ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 1,27,609 किमी है। 5 अगस्त को ये चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचेगा और 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा।

ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिक चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू करेंगे। इंजन फायरिंग तब की जाएगी जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 किमी की दूरी पर होगा। ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए चंद्रयान की स्पीड पृथ्वी की एस्केप वेलोसिटी से ज्यादा होनी चाहिए। पृथ्वी की एस्केप वेलोसिटी 40,270 किमी/घंटा है।

चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

अब तक का चंद्रयान-3 का सफर 
14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 किमी के ऑर्बिट में छोड़ा गया।
15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 किमीx 173 किमी किया गया।
17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 किमी x 226 किमी किया गया।
18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 5,1400 किमी x 228 किमी किया गया।
20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 किमी किया गया।
25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1.27,609 किमी x 236 किमी किया गया।
31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा।