0 केंद्र ने कहा-सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन्वेस्टिगेशन हो तो हमें एतराज नहीं
इंफाल। मणिपुर में महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराए जाने के केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (31 जुलाई) को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद अब तक कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं।
अदालत ने कहा कि यह इकलौती घटना नहीं है। दूसरी महिलाओं के साथ भी ऐसा हुआ। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसले के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (1 अगस्त) को भी इस मामले की सुनवाई करेगा।
दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले की सीबीआई जांच का विरोध किया। कुकी समुदाय की ओर से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेज ने कहा कि इस मामले की जांच एसआईटी करे। इसमें रिडायर्ड डीजीपी को शामिल किया जाए। सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच एक हाई पावर कमेटी करे। इनमें ऐसे केस देखने वाली महिलाओं को शामिल किया जाए। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें एक्स और वाय नाम से संबोधित किया गया है।
कोर्ट रूम में किसने क्या कहा
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की साजिश कर रहे हैं। पुलिस इन महिलाओं को ले गई और भीड़ में छोड़ दिया। इसके बाद भीड़ ने वो किया, जो सामने आया है। दोनों में से एक के पिता और भाई को कत्ल कर दिया गया। अभी तक उन्हें बॉडी नहीं मिली है। जीरो एफआईआर दर्ज की गई और वो भी 18 मई को। जब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की तो कुछ हुआ। हमारे पास अब किसका भरोसा है? ऐसी कई घटनाएं हुई हैं।
केंद्र सरकार: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह मामला देखता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।
याचिकाकर्ता: साफ है कि ऐसे कई वाकये हुए हैं। हम सीबीआई जांच के खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि एक स्वतंत्र एजेंसी इसकी जांच करे। लॉ ऑफिसर या अटॉर्नी जनरल निगरानी कैसे करेंगे और क्या निगरानी करेंगे? और अगर कोई पक्षपात हुआ तो?
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितनी सेक्शुअल वॉयलेंस की हैं, कितनी आगजनी, हत्या की हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है। जहां तक कानून का सवाल है, तो रेप विक्टिम इस बारे में बात नहीं कर रही हैं। वो अभी तक अपने दुख से बाहर नहीं आ पाई हैं। सबसे जरूरी चीज भरोसा पैदा करना है। सीबीआई जांच शुरू करती है तो अभी हम यह नहीं जानते हैं कि महिलाएं सामने आएंगी। महिलाएं पुलिस की बजाय महिलाओं से ही बात करने में ज्यादा सहज महसूस करेंगीं। इसके लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई जाए और उसमें ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाए जिन्हें इस तरह के मामलों का अनुभव हो।
कुकी समुदाय: वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेज ने सीबीआई जांच का विरोध किया और कहा कि इस मामले की जांच एसआईटी और रिटायर्ड डीजीपी से कराई जाए। इसमें मणिपुर के किसी आर्मी अफसर को ना शामिल किया जाए।
एक अन्य याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इंफाल में दो महिलाएं कार वॉश में काम करती थीं। भीड़ आई, उन्हें टॉर्चर किया और मर्डर किया। परिवार कैंप में है। मां ने एफआईआर दर्ज की। एफआईआर दर्ज होने के बाद सब कुछ रुक गया। 18 साल की लड़की का गैंगरेप भी हुआ। हो सकता है कि दोनों समुदायों के खिलाफ सेक्शुअल वॉयलेंस हुआ हो, लेकिन मुझे पता है कि कुकी महिलाओं को निशाना बनाकर हमला किया जा रहा है और यह अल्पसंख्यक हैं।