जोहान्सबर्ग। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को अंतरिक्ष, शिक्षा, कौशल विकास, टेक्नोलॉजी, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्रों में व्यापक बनाने का आह्वान किया और विश्वास जताया कि यह संगठन बाधाओं को तोड़ने, अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने, नवाचार को प्रेरित करने, नए अवसर पैदा करने और भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाता रहेगा।
श्री मोदी ने यहां पन्द्रहवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले लगभग दो दशको में, ब्रिक्स ने एक बहुत ही लम्बी और शानदार यात्रा तय की है। इस यात्रा में हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। हमारा न्यू डेवेलपमेंट बैंक ग्लोबल साउथ के देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आकस्मिकता रिजर्व व्यवस्था के माध्यम से हमने वित्तीय सुरक्षा चक्र का निर्माण किया है। ब्रिक्स कृत्रिम उपग्रह कोंस्टी-लेशन, वैक्सीन शोध एवं विकास केन्द्र, फार्मा उत्पादों को पारस्परिक मान्यता, जैसी पहलों से हम ब्रिक्स देशों के आम नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। यूथ समिट, ब्रिक्स गेम्स, थिंक टैंक्स काउंसिल जैसे पहलों से हम सभी देशों के बीच जनता के बीच संपर्क मज़बूत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स एजेंडा को एक नई दिशा देने के लिए भारत ने रेलवे रिसर्च नेटवर्क, एमएसएमई के बीच करीबी सहयोग, ऑनलाइन ब्रिक्स डेटाबेस, स्टार्टअप फोरम जैसे कुछ सुझाव रखे थे। ख़ुशी की बात है कि इन विषयों पर उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने ब्रिक्स देशों के करीबी सहयोग को और व्यापक बनाने के लिए कुछ सुझाव पेश किये। पहला है - अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग। उन्होंने कहा कि हम ब्रिक्स कृत्रिम उपग्रह कोंस्टी-लेशन पर पहले से काम कर रहे हैं। एक कदम आगे बढ़ाते हुए, हम ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण कंसोर्टियम बनाने पर विचार कर सकते हैं। इसके अंतर्गत हम अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम निगरानी जैसे क्षेत्रों में वैश्विक कल्याण के लिए काम कर सकते हैं।
उन्होंने दूसरा सुझाव दिया- शिक्षा, कौशल विकास और टेक्नोलॉजी में सहयोग। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को एक फ्यूचर रेडी ऑर्गनाइज़ेशन बनाने के लिए हमें अपने समाजों को फ्यूचर रेडी यानी भविष्य के लिए तैयार बनाना होगा। इसमें टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने बताया कि भारत में हमने दूर-सुदूर तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों तक शिक्षा पहुँचाने के लिए दीक्षा यानि ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा, प्लेटफार्म बनाया है। साथ ही स्कूल के विद्यार्थियों के बीच इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए हमने देश भर में दस हज़ार अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं बनाई हैं। भाषा-सम्बन्धी बाधाओं को हटाने के लिए भारत में एआई-आधारित भाषा प्लेटफॉर्म, भाषिणी, का इस्तेमाल किया जा रहा है। वैक्सीनेशन के लिए कोविन प्लेटफार्म बनाया गया है। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा यानि इंडिया स्टेक के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं के डिलीवरी की प्रणाली दुरुस्त की जा रही है।
श्री मोदी ने कहा कि विविधता भारत की एक बहुत बड़ी ताकत है। भारत में किसी समस्या का हल, इस विविधता की कसौटी से निकल कर आता है। इसलिए ये समाधान विश्व के किसी भी कोने में आसानी से लागू हो सकते हैं। इस संदर्भ में, भारत में विकसित इन सभी प्लेटफॉर्म्स को ब्रिक्स साझीदारों के साथ साझा करने में हमें ख़ुशी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा तीसरा सुझाव है कि एक दूसरे की ताकतों की पहचान करने के लिए हम मिलकर कौशल मैपिंग कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम विकास यात्रा में एक दूसरे के पूरक बन सकते हैं।” उन्होंने चौथा सुझाव बिग कैट्स के संबंध में दिया। ब्रिक्स के पाँचों देशों में बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के बिग कैट्स यानी शेर, चीते, तेंदुए, बाघ पाए जाते हैं। इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस के अंतर्गत हम इनके संरक्षण के लिए साझा प्रयास कर सकते हैं।
उन्होंने पाँचवाँ सुझाव पारंपरिक औषधियों को लेकर दिया और कहा कि हम सभी देशों में पारंपरिक चिकित्सा का इकोसिस्टम है। क्या हम मिलकर पारंपरिक चिकित्सा की रिपॉजिटरी बना सकते हैं।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में ग्लोबल साउथ के देशों को ब्रिक्स में एक विशेष महत्व दिया गया है। हम इसका हृदय से स्वागत करते हैं। यह वर्तमान समय की मात्र अपेक्षा ही नहीं, बल्कि ज़रूरत भी है। भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता में इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के मूलमंत्र पर हम सभी देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष जनवरी में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में 125 देशों ने भाग लिया और अपनी चिंताओं और प्राथमिकताओं को साझा किया। हमने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की स्थायी सदस्यता देने का प्रस्ताव भी रखा है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि सभी ब्रिक्स साझीदार, जी-20 में भी साथ हैं। और सभी हमारे प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। इन सभी प्रयासों को ब्रिक्स में भी विशेष स्थान दिए जाने से ग्लोबल साउथ के देशों का आत्मबल और बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स की सदयस्ता में विस्तार का पूरा समर्थन करता है। और इसमें सहमति के साथ आगे बढ़ने का स्वागत करता है। 2016 में, भारत की अध्यक्षता के दौरान, हमने ब्रिक्स को ‘उत्तरदायी, समावेशी और सामूहिक समाधान का निर्माण’ से परिभाषित किया था। सात साल बाद, हम कह सकते हैं कि, ब्रिक्स होगा - बाधाओं को तोड़ना, अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना, नवाचार को प्रेरित करना, अवसर पैदा करना और भविष्य को आकार देना। हम सभी ब्रिक्स साझीदारों के साथ मिलकर इस नयी परिभाषा को सार्थक करने में सक्रिय योगदान देते रहेंगे।
श्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को शानदार मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया और कहा, “जोहानसबर्ग जैसे खूबसूरत शहर में एक बार फिर आना मेरे, और मेरे डेलीगेशन के लिए अत्यंत ख़ुशी का विषय है। इस शहर का भारत के लोगों और भारत के इतिहास से पुराना गहरा संबंध है। यहाँ से कुछ दूरी पर टॉलस्टॉय फार्म है, जिसका निर्माण महात्मा गाँधी ने 110 वर्ष पहले किया था। भारत, यूरेशिया और अफ्रीका के महान विचारों को जोड़ कर महात्मा गाँधी ने हमारी एकता और आपसी सौहार्द की मज़बूत नींव रखी थी।