नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में पुराने संसद भवन को लेकर सांसदों ने अपनी यादें साझा की। सोमवार को संसद की पुरानी इमारत में आखिरी कार्यवाही हुई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मौके पर मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि बदलना है तो देश के हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है।
राज्यसभा में भाषण देते हुए खड़गे ने कहा कि इन 75 साल में हमने बहुत कुछ देखा और सीखा। मैंने 52 साल यहां बिताएं हैं। ये भवन आजाद भारत के सभी बड़े फैसलों का गवाह है। इस भवन में संविधान सभा 165 दिन बैठी। संविधान बनाया जो 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ।
श्री खड़गे ने कहा कि 26 नवंबर को 1949 को संविधान सभा की बहस को सुनने के लिए करीब 53 हज़ार लोग आए थे। संविधान सभा के 11 दौर की बैठकों के व्यवधान रहित संचालन को आदर्श संचालन माना गया था। वो ऐसा एक वक्त था जब सबको लेकर चला जाता था। आप लोगों ने भी उसे आदर्श संचालन माना था, उस समय देश के प्रधानमंत्री नेहरू जी थे।
मैं अपनी बात रखने के लिए थोड़े शब्दों में कुछ कहना चाहता हूं कि बदलना है तो अब हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है? देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है? दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो, लोगों को मारने से क्या होता है? कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो, बात-बात पर डराने से क्या होता है? अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें गुरूर है, लोगों को डराने-धमकाने से क्या होता है?