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0 कांग्रेस का आरोप- प्रस्तावना से समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाए 
0 सरकार बोली- ये मूल संविधान में नहीं थे

नई दिल्ली। संसद में जारी स्पेशल सेशन के बीच नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नई संसद के उद्घाटन के दौरान सांसदों को संविधान की जो कॉपी बांटी गई है, उसमें छपी प्रस्तावना से 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द हटा दिए गए हैं।

इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि संविधान की कॉपी में मूल संविधान की प्रस्तावना शामिल की गई है। जिसमें 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द नहीं थे। दरअसल, संविधान की प्रस्तावना में ये दोनों शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे।

संविधान में बदलाव संशोधन के बिना मुमकिन नहीं
इस विवाद का कानूनी पहलू भी है। सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में संविधान की प्रस्तावना को संविधान का हिस्सा मान चुका है। ऐसे में अगर इसमें से कोई भी शब्द हटाना या शामिल करना है तो एक अन्य संविधान संशोधन की जरूरत पड़ेगी।

भाजपा की मंशा पर संदेहः कांग्रेस
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि 'हम जानते हैं ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि भाजपा की मंशा संदिग्ध है। ये बड़ी चतुराई से किया गया है। यह मेरे लिए चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला।

ये शब्द मूल संविधान में नहीं थेः कानून मंत्री
अधीर रंजन के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि जब संविधान अस्तित्व में आया, तब समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं थे। ये शब्द संविधान के 42वें संशोधन में जोड़े गए।

क्या कांग्रेस ने आधा सच बताया
हालांकि भास्कर की छानबीन में सामने आया है कि जो कॉपी सांसदों को दी गई है उसमें ओरिजिनल प्रस्तावना और संशोधित प्रस्तावना दोनों शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक पहले पन्ने पर ओरिजिनल प्रस्तावना है जबकि दूसरे पन्ने पर संशोधित प्रस्तावना भी है। अधीर रंजन का दावा पुख्ता नहीं है क्योंकि उन्होंने पूरी बात नहीं बताई। हालांकि पुरानी प्रस्तावना क्यों रखी गई है ये भी स्पष्ट नहीं है।

नई संसद में जाते समय सांसदों को संविधान की कॉपी दी गई
18 सितंबर से शुरू हुए संसद के विशेष सत्र में कामकाज 19 सितंबर से शुरू हुआ। उसी दिन सभी सांसदों को पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग ले जाया गया थी। तभी, सांसदों को संविधान की यह कॉपी दी गई थी।

नई संसद में पहले दिन पेश हुआ महिला आरक्षण बिल
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है।