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0 लिस्टेड और नॉन-लिस्टेड कंपनियों में होगी बड़ी हिस्सेदारी, ऑयल टू केमिकल बिजनेस होंगे अलग

मुंबई। देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले पांच साल में होल्डिंग कंपनी बन सकती है। ग्रुप की स्वतंत्र लिस्टेड और नॉन-लिस्टेड कंपनियों में इसकी बड़ी हिस्सेदारी होगी। कुछ वैसे ही, जैसे टाटा सन्स ग्रुप की सभी कंपनियों को कंट्रोल करती है।

इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फिच की फर्म क्रेडिटसाइट्स के मुताबिक, इस बीच कॉरपोरेट ग्रुप का नेतृत्व धीरे-धीरे मुकेश अंबानी के बच्चों -आकाश, ईशा और अनंत अंबानी को ट्रांसफर होने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी रिलायंस ग्रुप की उत्तराधिकार योजना को पॉजिटिव नजरिये से देखती है।

कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी जैसे बड़े निवेशक लाई कंपनी
एजेंसी के मुताबिक, रिलायंस के होल्डिंग कंपनी बनने का संकेत इस तथ्य से मिलता है कि मैनेजमेंट ने रिटेल और टेलीकॉम बिजनेस को अलग-अलग लिस्ट कराने का वादा किया है। रिलायंस रिटेल ने हाल में कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी जैसे बड़े निवेशक लाई, जिसने 8,278 करोड़ रुपए का निवेश किया है। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की हालिया लिस्टिंग के साथ ही इन सभी कदमों को 65 साल पुराने कॉरपोरेट ग्रुप की वैल्यू अनलॉक करने की रणनीति के तौर पर देखा जा सकता है।

ऑयल टू केमिकल अलग करने का प्लान फेल, अब नई रणनीति
रिलायंस पहले ओ2सी (ऑयल टू केमिकल) बिजनेस को एक अलग यूनिट में बदलने की योजना पर काम कर रही थी। सऊदी अरामको नई यूनिट में 20% हिस्सेदारी लेने वाली थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैल्युएशन पर बात न बनने के चलते नवंबर 2021 में ये योजना ठंडे बस्ते में चली गई। हमारा मानना है कि रिलायंस अब फिर से नई होल्डिंग कंपनी के स्ट्रक्चर पर काम कर रही है।