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0 आप नेता बोले- यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बहाल रखा, जिसमें राज्यसभा सचिवालय की कार्रवाई पर अंतरिम रोक को हटा दिया गया था।

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनूप जे भंभानी ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ ट्रायल कोर्ट का वह आदेश बहाल रहेगा, जिसमें उसने सचिवालय को राघव से बंगला खाली ना करवाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक कि ट्रायल कोर्ट अंतरिम राहत के लिए आप नेता के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता।

राघव चड्ढा ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला था, जिसका उद्देश्य एक युवा, मुखर सांसद को चुप कराना था। विपक्ष की आवाजों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।

आप सांसद ने सोशल मीडिया एप एक्स (जो पहले ट्विटर था) पर लिखा कि यह घर या दुकान के लिए नहीं, बल्कि संविधान को बचाने की लड़ाई है, लेकिन आखिर में जीत सत्य और न्याय की हुई।

अक्टूबर में ट्रायल कोर्ट ने आदेश वापस लिया था
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 6 अक्टूबर को अपने उस अंतरिम आदेश को वापस ले लिया था, जिसमें उसने राज्यसभा सचिवालय को राघव चड्ढा से बंगला खाली ना करवाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले में रहने का विशेषाधिकार दिया गया था। वे बंगले में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। राज्यसभा सचिवालय ने 3 मार्च को आप सांसद राघव चड्ढा के टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द करते हुए बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था।

इसके खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंचे थे। आप सांसद ने कोर्ट में बताया था कि बतौर सांसद अभी उनका कार्यकाल चार साल से ज्यादा समय का बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा- राज्यसभा के 70 साल से ज्यादा समय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है। आप सांसद ने भाजपा पर उन्हें टारगेट करने का आरोप लगाया।