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0 तमिलनाडु की राज्यपाल भी रह चुकीं
0 राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका खारिज की थीं

कोल्लम। देश की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस फातिमा बीवी का 96 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने कोल्लम जिले के एक निजी अस्पताल में 23 नवंबर की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

उनका जन्म 30 अप्रैल 1927 को केरल में हुआ था। अपने पिता के कहने पर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। 1989 में वे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बनीं और 29 अप्रैल 1992 तक इस पद पर रहीं। रिटायरमेंट के बाद वे नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन की सदस्य रहीं। बाद में उन्हें तमिलनाडु गवर्नर का पद भी मिला। राजीव गांधी हत्याकांड के चार दोषियों की दया याचिका को अस्वीकार करने के बाद उन्होंने गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था।

जस्टिस फातिमा बीवी का जन्म केरल में हुआ था
जस्टिस फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल 1927 को केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के महिला कॉलेज से कैमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। फातिमा के पिता ने उन्हें एडवोकेट की पढ़ाई करने के लिए कहा। इसके चलते उन्होंने तिरुवनंतपुरम के ही लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की। यहां से निकलकर साल 1950 में उन्होंने बार काउंसिल का पेपर दिया। फातिमा ने बार काउंसिल एग्जाम में टॉप किया और बार काउंसिल गोल्ड मेडल पाने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने कोल्लम की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से अपने वकालत के करियर की शुरुआत की। इसके 8 साल बाद वे मजिस्ट्रेट के तौर पर ज्यूडिशियल सर्विस में आईं। 1974 में फातिमा बीवी डिस्ट्रिक्ट सेशन जज बनीं।

1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनीं फातिमा
फातिमा बीवी 1983 में केरल हाई कोर्ट की जज बनीं। इसके 6 साल बाद 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त होकर उन्होंने इतिहास बना दिया। इससे पहले 30 साल तक भारत के सुप्रीम कोर्ट में कोई महिला जज नहीं थी। फातिमा बीवी के सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से देश की कई महिला वकीलों को एक नई दिशा मिली। उनके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना देसाई, जस्टिस आर. भानुमति, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हीमा कोहली, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस बी. वी. नागारत्ना और जस्टिस इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।

फातिमा ने राजीव गांधी के 4 हत्यारों की दया याचिका खारिज की थी
फातिमा बीवी 29 अप्रैल 1992 तक सुप्रीम कोर्ट की जज रहीं। यहां से रिटायर होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में काम किया। फिर, 1997 से 2001 तक वे तमिलनाडु राज्य की राज्यपाल रहीं। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 4 हत्यारों ने उनके पास दया याचिका भेजी थी। फातिमा बीवी ने इसे खारिज कर दिया और फिर राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया था।