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0 आठ बैंड के लिए 96,317 करोड़ बेस प्राइस
0 डॉट को 10,000 करोड़ मिलने की उम्मीद

नई दिल्ली। टेलिकॉम ऑपरेटर्स रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 6 जून से होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी में बोली लगाने के लिए आवेदन कर दिया है। इसकी जानकारी सोमवार (6 मई) को न्यूज एजेंसी ने दी।

इससे पहले 2022 में हुई पिछली नीलामी में जियो ने सबसे ज्यादा 5G स्पेक्ट्रम पर 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए थे। वहीं अडाणी ग्रुप की कंपनी का नाम अचानक बोली लगाने वालों में सामने आया था। हालांकि, इस बार की नीलामी में कोई नया नाम नहीं है।

96.31 हजार करोड़ के बेस प्राइस पर होगी नीलामी
न्यूज एजेंसी के अनुसार, सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए 8 स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी करेगी। इसमें 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज, 2,500 मेगाहर्ट्ज, 3,300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड शामिल हैं। नीलामी में सभी उपलब्ध स्पेक्ट्रम को 96,317.65 करोड़ रुपए के बेस प्राइस पर नीलामी में रखा जाएगा। इस नीलामी में दिवालियेपन से गुजर रही कुछ कंपनियों के पास मौजूद स्पेक्ट्रम के अलावा 2024 में अवधि पूरी होने पर एक्सपायर होने वाले स्पेक्ट्रम को भी रखा जाएगा।

डॉट को 10,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (डॉट) को इस बार नीलामी में टेलिकॉम ऑपरेटरों से ज्यादा अच्छे रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल ही कंपनियों ने काफी सारा स्पेक्ट्रम खरीदा था। कंपनियों का फोकस उन स्पेक्ट्रम के टॉपअप पर होगा जो उनके ऑपरेशन में हैं और एक्सपायर होने जा रहे हैं। टेलिकॉम डिपार्टमेंट को नीलामी से करीब 10,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।

वोडाफोन और एयरटेल को लाइसेंस रिन्यू करना होगा
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया 1,800 मेगाहर्ट्ज और 900 मेगाहर्ट्ज के 4जी बैंड में समाप्त होने वाले पुराने लाइसेंस को रिन्यू करेंगे। ब्रोकरेज जेफरीज के अनुसार, एयरटेल को लगभग 4,200 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया को लगभग 1,950 करोड़ रुपए की एयरवेव्स को रिन्यू करना होगा, जबकि मार्केट लीडर रिलायंस जियो को इस साल कोई भी स्पेक्ट्रम रिन्यूअल नहीं करना होगा।

पिछली बार जियो ने 5जी पर 88,078 करोड़ खर्च किए थे
2022 की स्पेक्ट्रम नीलामी में, सरकार ने 20 साल की वैलिडिटी के साथ 72,097.85 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ऑफर किया गया था। रिलायंस जियो ने 5जी स्पेक्ट्रम पर 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसके बाद एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

स्पेक्ट्रम क्या है और यह कैसे काम करता है?
एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के भीतर रेडियो फ्रीक्वेंसी हैं जो टेलिकॉम सहित कई सर्विसेज के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जा सकती हैं। सरकार इन एयरवेव्स का मैनेजमेंट और आवंटन करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंसी तक के बैंड में डिवाइड किया जा सकता है। हाई-फ्रीक्वेंसी वेव ज्यादा डेटा ले जाती हैं और लो-फ्रीक्वेंसी वेव की तुलना में तेज होती हैं, लेकिन इन्हें आसानी से ब्लॉक या ऑब्सट्रक्ट किया जा सकता है। लोअर-फ्रीक्वेंसी वेव वाइडर कवरेज प्रदान कर सकती हैं।