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0 कोड गेम्स से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जानकारी भेजता था
0 साल 2018 में हुआ था गिरफ्तार

नागपुर। महाराष्ट्र की नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सोमवार (3 जून) को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

शुरुआती जांच में सामने आया था कि निशांत कोड गेम्स के जरिए ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी जानकारी आईएसआई को भेजा करता था। अग्रवाल को अप्रैल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने जमानत दी थी। साल 2018 में गिरफ्तार निशांत को आईपीसी और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की धारा 3 और 5 के तहत आजीवन कारावास (14 साल) की सजा सुनाई गई है। साथ ही उस पर 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एम.वी. देशपांडे ने निशांत अग्रवाल के मामले में फैसला सुनाया। स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर ज्योति वजानी ने कहा कि निशांत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

साल 2018 में गिरफ्तार हुआ था निशांत
साल 2018 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के नागपुर स्थित मिसाइल सेंटर के टेक्निकल रिसर्च सेंटर में काम करने के दौरान निशांत अग्रवाल को मिलिट्री इटेलिजेंस और यूपी-महाराष्ट्र की एटीएस ने ज्वाइंट ऑपरेशन में गिरफ्तार किया था। उसने चार साल तक ब्रह्मोस एयरोस्पेस में काम किया था। अग्रवाल फेसबुक पर नेहा शर्मा और पूजा रंजन नाम के दो अकाउंट्स से चैट किया करता था। जांच में सामने आया था कि दोनों अकाउंट्स को पाकिस्तानी खुफिया एजेंट हैंडल कर रहे थे। निशांत के अलावा एक और इंजीनियर पर सेना नजर रख रही थी। इसके बाद निशांत को गिरफ्तार किया गया था।

निशांत पर आईपीसी और ओएसए की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया था। निशांत ने कुरुक्षेत्र एनआईटी से पढ़ाई की थी। वो गोल्ड मेडलिस्ट था। जानकारी के लिए बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के आर्मी इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) के बीच एक जॉइंट वेंचर है।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज एनपीओएम के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है। रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है।