नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली की कथित आबकारी नीति घोटाले में भ्रष्टाचार और धनशोधन के अलग-अलग दर्ज मुकदमों के आरोपी पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया हैं।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसियों - सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर मामले पर अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख मुकर्रर की।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री सिसोदिया की जमानत याचिका पर 11 जुलाई को संबंधित पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति संजय कुमार के मामले से अपने को अलग कर लेने कारण तब सुनवाई नई पीठ के गठन तक टाल दी गई थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने एक नई पीठ का गठन किया।
शीर्ष अदालत के समक्ष अपने संक्षिप्त बयान में श्री सिसोदिया के अधिवक्ता विवेक जैन ने याचिकाकर्ता को जमानत देने का अनुरोध किया।उन्होंने आगे दलील देते हुए कहा, "मैं (मनीष सिसोदिया) 16 महीने से जेल में हूं। मुकदमा उसी गति से चल रहा है, जिस गति से अक्टूबर 2023 में चल रहा था। मुकदमा धीमी गति से चल रहा है।"
सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें उन्हें एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था। उन्हें 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था।
आप के वरिष्ठ नेता श्री सिसोदिया को इससे पहले ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में निचली अदालत, उच्च न्यायालय और यहां तक कि शीर्ष अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने सिसोदिया की समीक्षा याचिका और क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी। आरोपी सिसोदिया ने अदालत की ओर से पहले ही निपटाई गई याचिका पर पुनर्जीवित करने के लिए नया आवेदन दायर किया।
निचली अदालत ने मार्च में श्री सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रथम दृष्टया कथित घोटाले के “सूत्रधार” हैं।आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और सहयोगियों के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में “सबसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई थी।
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