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0 एके-47, इंसास सहित 7 ऑटोमोटिव हथियार बरामद
कांकेर/पंखाजुर/गढ़चिरौली । छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने बुधवार को मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराया। मारे गए नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मौके से हथियार और अन्य सामान भी बरामद हुआ है। फिलहाल इलाके में सर्चिंग जारी है। बताया जा रहा है कि मुठभेड़ करीब 6 घंटे तक चली है।

वहीं मुठभेड़ में सब इंस्पेक्टर सहित 2 जवान घायल हुए हैं। घायल सब इंस्पेक्टर सतीश पाटील महाराष्ट्र की सी-60 फोर्स के जवान हैं। उन्हें बाएं कंधे में गोली लगी है। उन्हें हेलिकॉप्टर से कांकेर के बांदा से गढ़चिरौली भेजा गया। बताया जा रहा है कि मुठभेड़ कांकेर के पंखाजुर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जंगल में हुई है।

गढ़चिरौली से महाराष्ट्र पुलिस और सी-60 के जवान सुबह करीब 10 बजे सर्चिंग पर निकले थे। इसी बीच झारावंडी थाना क्षेत्र के जंगल में दोपहर करीब 1:30 से 2:00 बजे के बीच नक्सलियों से सामना हो गया।

12 से 15 नक्सलियों के मौजूद होने की मिली थी सूचना
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र पुलिस को सूचना मिली थी कि वंडोली गांव में 12 से 15 नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना मिली थी। इस पर डिप्टी एसपी ऑप्स के नेतृत्व में 7 सी-60 दलों को वंडोली गांव में छत्तीसगढ़ बॉर्डर के पास भेजा गया। दोपहर में सर्चिंग के दौरान अचानक से नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी।

मारे गए नक्सलियों में सिर्फ एक की पहचान हुई
इस पर जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। करीब 6 घंटे तक रुक-रुक कर दोनों ओर से फायरिंग जारी रही। मुठभेड़ खत्म होने के बाद जवानों ने इलाके में सर्चिंग की। इसमें 12 नक्सलियों के शव बरामद हो गए हैं। इनमें सिर्फ एक की पहचान दलम प्रभारी डीवीसीएम लक्ष्मण आत्राम उर्फ विशाल आत्राम के रूप में हुई है।

घायल जवानों को नागपुर रेफर किया गया
जवानों ने मौके से 3 एके47, 2 इंसास, 1 कार्बाइन, 1 एसएलआर सहित 7 ऑटोमोटिव हथियार बरामद किए हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने बताया कि, सी-60 के एक पीएसआई और एक जवान को गोली लगी है। वे खतरे से बाहर हैं। उन्हें निकाल लिया गया है और नागपुर भेजा गया है।

कौन हैं सी-60 एंटी नक्सल कमांडो
गढ़चिरौली जिले की स्थापना के बाद से ही पूरे क्षेत्र में नक्सली गतिविधियां बढ़ गई थी। इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्कालीन एसपी केपी रघुवंशी ने 1 दिसंबर 1990 को सी-60 की स्थापना की। उस वक्त इस फोर्स में सिर्फ 60 विशेष कमांडो की भर्ती हुई थी, जिससे इसे यह नाम मिला। नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए गढ़चिरौली जिले को दो भागों में बांटा गया। पहला उत्तर विभाग, दूसरा दक्षिण विभाग।

प्रशासनिक कामकाज भी करते हैं सी-60 कमांडो
इन कमांडो को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें दिन-रात किसी भी समय कार्रवाई करने के लिए ट्रेंड किया जाता है। इनकी ट्रेनिंग हैदराबाद, एनएसजी कैंप मनेसर, कांकेर, हजारीबाद में होती है। नक्सल विरोधी अभियान के अलावा ये जवान नक्सलियों के परिवार, नाते-रिश्तेदारों से मिलकर उन्हें सरकार की योजनाओं के बारे में बताकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी करते हैं। नक्सली इलाकों में ये प्रशासनिक समस्याओं की जानकारी भी जुटाते हैं।

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