कोलकाता। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की ‘कोई कमी' नहीं है और केंद्र मांग को पूरा करने के लिए शुष्क ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया और वाणिज्यिक खदानों की उत्पादकता बढ़ाकर दीर्घकालिक मांग को पूरा किया जाएगा। कोयला एवं खान मंत्री रेड्डी ने कहा, “हम सभी ताप विद्युत संयंत्रों को कोयला उपलब्ध करा रहे हैं। हमने आयातित कोयले पर आधारित संयंत्रों से अनुरोध किया है कि वे अपनी तकनीक बदलकर घरेलू ईंधन का उपयोग करें। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।” कोयला उत्पादन में आमतौर पर मानसून के मौसम में बाधा आती है।
उन्होंने विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि वाणिज्यिक खदानों से संबंधित कुछ तकनीकी मुद्दों का समाधान किया जा रहा है। घरेलू ताप विद्युत संयंत्रों के लिए चार प्रतिशत आयातित कोयला मिश्रण से संबंधित बिजली मंत्रालय की सलाह पर मंत्री ने कहा कि कोल इंडिया सफलतापूर्वक उत्पादन बढ़ा रही है, लेकिन मिश्रण की सलाह ‘बिजली की मांग में अचानक वृद्धि के कारण ‘ब्लैकआउट' के जोखिम को कम करने' के लिए दी गई है। इस महीने की शुरुआत में कोयला मंत्रालय के नामित प्राधिकरण ने परिचालन और गैर-परिचालन दोनों प्रकार की निजी और वाणिज्यिक कोयला खदानों की स्थिति की समीक्षा के लिए एक बैठक आयोजित की थी। बैठक के दौरान प्राधिकरण ने उन कोयला ब्लॉक को चालू करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो विकास के उन्नत चरणों में हैं। विभाग ने कोयला उत्पादन बढ़ाने में सभी आवंटियों के प्रयासों की सराहना की और उनसे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रतिबद्ध उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने का आग्रह किया। कोयला मंत्रालय ने 57.5 करोड़ टन की अधिकतम क्षमता वाली 161 खदानों का आवंटन या नीलामी की है। इनमें से 58 को खदान खोलने की अनुमति मिल गई है और 54 चालू हैं। पिछले वर्ष इन खदानों से 14.7 करोड़ टन कोयला उत्पादन हुआ, जो देश के कुल कोयला उत्पादन का 15 प्रतिशत था। जून की शुरुआत में आयोजित समीक्षा बैठक में रेड्डी ने नीलामी के लिए और अधिक ब्लॉक की खोज पर जोर दिया।