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नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) एक मजबूत प्रणाली है जिसका समाज के निचले तबके को बहुत लाभ हुआ है।
श्री नड्डा ने सदन में “शिक्षा को समवर्ती सूची से हटाकर संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों का विषय बनाने को लेकर पेश निजी संकल्प” की चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि देश में शिक्षा की जबरदस्त प्रणाली है जिससे केंद्र और राज्य के बीच सामंजस्य बना रहता है। उन्होंने कहा कि नीट एक प्रणाली बेहतर है और बहुत ही कम देशों में ऐसी व्यवस्था है।
श्री नड्डा ने कहा कि नीट के मामले में कुछ बातें समझने की जरुरत है। देश की आवश्यकताओं को समझना चाहिए। नीट से पहले चिकित्सा शिक्षा व्यवसायिक गतिविधियों का बड़ा अड्डा बन गया था। यह एक धंधा बन गयी थी। चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए देशभर में जाना पड़ता था। माता-पिता अपने बच्चों के साथ एक संस्थान से दूसरे संस्थान में दौड़ते थे जिसके कारण धन और समय की बर्बादी होती थी। अभिभावकों और बच्चों की दुर्गति हो रही थी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थान प्रवेश का आयोजन करते थे और पात्रता सूची मात्र 45 मिनट के लिए लगाकर हटा दी जाती थी और कह दिया जाता था कि उम्मीदवार नहीं पहुंचा। इसके बाद सीटें प्रबंधन अपने मनमाने तरीके से भरता था। रेडियोलॉजी की सीट 12 करोड़ से 13 करोड़ रुपयों तक में बेच दी जाती थी। मौजूदा समय में नीट परीक्षा देश के हजारों शहरों में एक साथ होती है। इससे देश के गरीब और दूर दराज में रहने वाले बच्चे भी चिकित्सा शिक्षा के लिए समर्थ हुए हैं। इससे आर्थिक रूप से बच्चों की संख्या में 102 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अन्य पिछडा वर्ग के छात्रों की भी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक हो गयी है।
उन्होेंने कहा कि देश के 13 भाषाओं में नीट परीक्षा आयोजित की जाती है। इनमें मलयालम, तेलुगू , तमिल और कन्नड भी शामिल है। इससे सरकारी स्कूल के बच्चे भी नीट के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में आ गये हैं। इससे पहले 80 प्रतिशत आबादी चिकित्सा शिक्षण के दायरे से बाहर थी। नीट की परीक्षा अपनी मातृभाषा में कराने से केरल, उत्तरप्रदेश, बिहार, तमिलनाडु महराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली से आने वाले बच्चों की संख्या बढी है। ये बच्चे 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वालों में शामिल हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि सरकार समाज के लिए सुधार में भरोसा करती है और नीट में सुधार हो रहे हैं। ये सुधार पूरे समाज के लिए है। इससे लाखों बच्चे को लाभ होगा। ये गांव के लोगों को चिकित्सा क्षेत्र में लाने का माध्यम है।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मोहम्मद अब्दुल्ला ने इस निजी संकल्प में मेडिकल कालेजों में प्रवेश की परीक्षा नीट तथा इसे कराने वाली एजेन्सी राष्ट्रीय परीक्षा एजेन्सी (एनटीए) को समाप्त करने की भी मांग की है।