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नई दिल्ली। विश्व बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को मजबूत बताते हुए वर्ष 2024-25 की देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 7.0 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक वित्तीय संगठन ने अपनी पिछली छमाही रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। 

भारत में विश्व बैंक के निदेशक  आगस्त तानो कुआमे ने बैंक की छमाही इंडिया डेवलपमेंट अपटेड (भारत की आर्थिक स्थित पर अद्यतन रिपोर्ट) रिपोर्ट को जारी करते हुये कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के आने वाले समय में भी मजबूत बने रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर औसतन 6.7 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण के बीच असाधारण जुझारूपन दिखाते हुए वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र वृद्धि दर्ज करने वाला देश रहा। 

भारत ने यह उपलब्धि ऐसे समय में दर्ज की, जबकि 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 2.6 प्रतिशत पर आ गयी थी। 

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि  कोरोना महामारी के बाद भारत के शहरी श्रम बाजार में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन युवाओं में बेरोजगारी की दर अभी भी 17.0 प्रतिशत के साथ ऊंची बनी हुयी है। 

कुआमे ने कहा कि वैश्विक स्तर पर तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था इस समय काफी अच्छी स्थिति में है और अच्छी गति से बढ़ रही है तथा आगे भारत की आर्थिक वृद्धि दर तीव्र बने रहने की संभावना है। भारत विश्व अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत की मजबूत वृद्धि दर और गिरती मुद्रास्फीति से देश में नितांत गरीबी को कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार तथा देश में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में भारत के अच्छे प्रदर्शन का उल्लेख किया गया है। 

भारत में बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि एवं निर्यात क्षेत्र में सुधार और मुद्रास्फीति में कमी की संभावनाओं के बीच देश की आर्थिक वृद्धि बेहतर दिख रही संभावनाओं का उल्लेख करते हुये कुआमे ने कहा कि भारत वैश्विक व्यापार की संभावनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक वृद्धि को और मजूबत कर सकता है। उन्होंने कहा कि  उच्च तकनीक वाली वस्तुओं के निर्यात में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है, लेकिन श्रमगहन-क्षेत्र की वस्तुओं के निर्यात में तुलनात्मक रूप से कमी देखने को मिला है। 

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