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0 शराब घोटाला केसः ​​​​​​​लखमा हो सकते हैं गिरफ्तार 
रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा को ईडी गिरफ्तार कर सकती है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया है कि शराब घोटाले में लखमा के शामिल होने और उन्हें अवैध शराब बिक्री पर कमीशन मिलने के महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। ईडी ने यह भी कहा कि छापे में डिजिटल उपकरणों की बरामदगी और हुई है, जिनमें आपत्तिजनक रिकार्ड होने का संदेह है। 

ईडी ने जारी अपने प्रेस नोट में बताया कि शराब घोटाले केस में पीएमएलए के प्रावधानों के तहत 29 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी और सुकमा जिले में स्थित सात ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। तलाशी अभियान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आवासीय परिसर में किया गया था, जो कथित तौर पर आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नकद में अपराध की आय (पीओसी) के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। उनके पुत्र हरीश लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों में भी तलाशी ली गई। तलाशी में कई डिजिटल उपकरणों की बरामदगी और जब्ती भी हुई है, जिनमें आपत्तिजनक रिकार्ड होने का संदेह है। ईडी की जांच से पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। 

जब कवासी लखमा मंत्री थे, उनकी गाड़ी में हमेशा सुशील ओझा उनके साथ घूमा करते थे। ये कांग्रेस में प्रदेश प्रतिनिधि के पद पर हैं। ईडी ने रायपुर स्थित इनके घर पर भी छापा मारा था, लेकिन ओझा विदेश यात्रा पर हैं। वहां पार्टी करते हुए सोशल मीडिया पर रील्स अपलोड कर रहे हैं।

लखमा के खिलाफ एक्शन ले सकती है ईडी
इससे पहले ईडी सबूतों का दावा करते हुए शराब कारोबारी और रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे ही लखमा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है। हालांकि अब लखमा ने मीडिया से कहा है कि मैं 3 जनवरी को ईडी के दफ्तर जाऊंगा। लखमा ने कहा कि जब ईडी वाले आए थे, तो मेरे से कागज मांग रहे थे। कागज सब गांव में थे। समय मांगा था, जो-जो कागज मांग रहे वो दूंगा। हर आदमी को कानून का सम्मान करना चाहिए। मैं भी सम्मान करूंगा। जब भी बुलाएंगे जाऊंगा। मैं सच्ची बात करूंगा। मैं सच्चा आदमी हूं। मैं राजनीतिक मुद्दों और मीडिया के सवालों पर जवाब अभी नहीं दूंगा। नियम कानून का सम्मान करता रहूंगा।

ईडी ने कार्रवाई पर क्या खुलासा किया
28 दिसंबर 2024 को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश कवासी के घर छापा मारा था। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा के बंगले पहुंची थी। पूर्व मंत्री की कार को घर से बाहर निकालकर तलाशी ली गई। साथ ही, कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा जिले में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई।

आपत्तिजनक रिकॉर्ड भी मिले
ईडी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि ​​​​​​छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया। ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।

कवासी को 2161 करोड़ कमीशन मिला
निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि ईडी की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमिशन मिला है। 

ईडी के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई

भाग-ए कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
भाग-बी कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
पार्ट-सी कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।