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0 अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच महंगाई 4.9% रही
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार यानी 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 यानी, 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान है। वहीं रिटेल महंगाई अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई।

सर्वेक्षण के अनुसार, निर्माण क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 के मध्य से गति पकड़ रहा है और इस समय महामारी-पूर्व की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत ऊपर है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास और आवास की मांग से प्रेरित एक प्रभावशाली उपलब्धि है।

सर्वेक्षण के अनुसार भारत के सेवा व्यापार अधिशेष ने समग्र व्यापार संतुलन को स्थिरता प्रदान की है। देश का मजबूत सेवा क्षेत्र वैश्विक सेवा निर्यात में भारत को सातवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक बनने की दिशा में प्रेरित किया है, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत के सेवा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करता है।

इकोनॉमिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसमें देश की जीडीपी का अनुमान और महंगाई समेत कई जानकारियां होती है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स इसे तैयार करता है।

इकोनॉमिक सर्वे 2025 की प्रमुख बातें
2025-2026 में इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। सर्वे में कहा गया है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8% के दर से आर्थिक विकास करना होगा।
2023-2024 में रिटेल महंगाई 5.4% थी, जो अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई। चौथी तिमाही में महंगाई में कमी की उम्मीद है। खराब मौसम, कम उपज के चलते सप्लाई चेन में बाधा आने से खाने-पीने की महंगाई बढ़ी।
सर्वे में कहा गया है कि लेबर मार्केट के हालात 7 साल में बेहतर हुए है। वित्तीय वर्ष 2024 में बेरोजगारी दर गिरकर 3.2% पर आई। वहीं ईपीएफओ में नेट पेरोल पिछले 6 साल में दोगुना हुआ जो संगठित क्षेत्र में रोजगार का अच्छा संकेत है।
एआई का तेजी से हो रहा विकास न केवल ग्लोबल लेबर मार्केट में नए अवसरों का निर्माण कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण चुनौतियां भी उत्पन्न कर रहा है। एआई के चलते होने वाले बदलाव के विपरीत प्रभावों को कम करने की जरूरत है।
भारत को अगले 20 साल में तेज ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत है। पिछले 5 साल में सरकार ने फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया है। पब्लिक फंडिंग से अकेले ये जरूरतें पूरी नहीं होंगी, इसलिए प्राइवेट भागीदारी बढ़ानी होगी।
भारतीय बाज़ारों के सामने सबसे बड़ा जोखिम अमेरिका से जुड़ा है। सर्वे में अमेरिकी बाजार में करेक्शन की हाई पॉसिबिलिटी बताई गई है। इसका भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है, खासकर रिटेल निवेशकों पर।

दिसंबर में महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आई
खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई घटकर 5.22% हो गई है। इससे पहले नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी। वहीं 4 महीने पहले अगस्त में महंगाई 3.65% पर थी। महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 9.04% से घटकर 8.39% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.95% से घटकर 5.76% और शहरी महंगाई 4.89% से घटकर 4.58% हो गई है।

1950-51 में पेश हुआ था पहला आर्थिक सर्वेक्षण
भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, 1964 के बाद से सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया। तब से, बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाता है।