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0 विस अध्यक्ष ने कहा- यह अत्यंत खेदजनक, मंत्री को दिए निर्देश

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सातवें दिन बुधवार को भारतमाला परियोजना में हुई गड़बड़ी के मामले में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने अध्यक्ष के निर्देश के बावजूद प्रश्न का उत्तर आधे घंटे पहले मिलने पर आपत्ति जताई। इस मुद्दे पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी नेता प्रतिपक्ष का साथ देते नजर आए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। उन्होंने इस मामले पर अगले सप्ताह पूरी चर्चा कराने की घोषणा की। साथ ही स्पीकर ने राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को जरूरी निर्देश दिए। 

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि मुझे प्रश्न का उत्तर अभी आधे घंटे पहले मिला, इसे इतनी देर में पढ़ा भी नहीं जा सकता, जबकि पिछले हफ्ते का प्रश्न था, जिसे आज के लिए लेना तय किया गया है। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी इसे व्यवस्था का प्रश्न बताते हुए नेता प्रतिपक्ष का साथ दिया। 

इस मामले में आसंदी से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। संसदीय कार्य मंत्री को निर्देशित करता हूं कि सभी अधिकारियों को निर्देशित करें कि सर्वोच्च प्राथमिकता पर रख कर उत्तर मुहैया कराया जाए। इसके साथ ही इसे अगले हफ़्ते सोमवार को के पहले प्रश्न के तौर पर लिए जाएगा। 

इससे पहले विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने रायपुर जिले के अभनपुर में मुआवजा घोटाले पर जानकारी मांगी थी। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के अनभिज्ञता जताने पर डॉ. महंत नाराज हुए थे। डॉ. महंत ने कलेक्टर की जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा था, मगर राजस्व मंत्री ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

डॉ. महंत इस बात से नाराज थे कि काफी समय पहले सवाल लगाने के बाद भी राजस्व मंत्री के पास कोई जानकारी नहीं है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि अगली बार जब भी राजस्व विभाग का प्रश्नकाल होगा, उस दिन सबसे पहले इस पर चर्चा होगी। अध्यक्ष के निर्देशानुसार बुधवार को राजस्व विभाग के प्रश्नकाल के चलते पहला सवाल चरणदास महंत का था। प्रश्नकाल प्रारंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष का ध्यान जवाबों का पुलिंदा दिखाते हुए खींचा कि पांच मिनट पहले राजस्व विभाग ने जवाब भेजा है, अब इसे कैसे पढक़र मैं सवाल पुछूंगा। उन्होंने इस पर गंभीर आपत्ति जताई। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने भी इसमें हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विभागीय अधिकारियों का यह रवैया ठीक नहीं है। सदस्यों को अगर टाइम पर जवाब नहीं मिलेगा तो फिर वे इस पर सवाल कैसे पूछेंगे। इस पर कोई व्यवस्था होनी चाहिए ।

इस पर स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने राजस्व विभाग के इस आचरण पर चिंता जताई। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री को भी निर्देशित किया। डॉ. सिंह ने कहा कि 25 फरवरी को मैंने खासतौर से निर्देश दिया था कि टाइम पर जानकारी मुहैया करा दी जाए, मगर ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने व्यवस्था देते हुए सभी विभागों से कहा कि वे सही समय पर जानकारी सदस्यों को दी जाए। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने राजस्व मंत्री को निर्देश दिया कि अगले हफ्ते पहले दिन इस पर सवाल करने के लिए डेट तय किया जाता है। यानी अगले सप्ताह सोमवार को अभनपुर में भारतमाला  मुआवजा घोटाले पर पूरी विस्तृत चर्चा की जाएगी। 
इससे पहले भी बीते शुक्रवार को स्पीकर ने अपनी लिखित व्यवस्था में एक प्रश्न के दस हजार पेज के उत्तर दिए जाने पर गंभीर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उत्तर छोटे और सारगर्भित हों।

सामने आ रही तत्कालीन एसडीएम साहू की कारगुजारियां
बता दें कि रायपुर-विशाखापटनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भारतमाला परियोजना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी पर निलंबित हुए तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू (राप्रसे) की कारगुजारियां धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। निर्भय साहू ने नियमों में खामियों का जिस तरीके से इस्तेमाल किया है, वह अपने आप में नायाब है। निर्भय साहू की कारगुजारियों से वाकिफ जानकार बताते हैं कि निर्भय साहू अभनपुर में कमोबेश तीन साल 15 अक्टूबर 2020 से लेकर 1 जून 2023 तक एसडीएम रहे। इसी दौरान भारतमाला प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ। केंद्र से मिले मुआवजे का ऐसा बंदरबांट हुआ कि एक तरफ पूरा राजस्व अमला तो दूसरी तरफ जमीन के मालिक पूरे लाल हो गए। बताया जाता है कि अभनपुर में 9.38 किलोमीटर के एरिया में 50.28 हेक्टेयर प्रायवेट लैंड अधिग्रहित किया, उसके लिए 248 करोड़ का मुआवजा बांट दिया। इसमें अभी भी 78 करोड़ का क्लेम बचा है। वहीं धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किलोमीटर की सड़क के लिए 207.57 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई। उसके एवज में मात्र 108.75 करोड़ का मुआवजा बंटा।  

बताया जाता है कि सिक्स लेन एक्सप्रेसवे के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाना था, उसके लिए एसडीएम कार्यालय से 3ए का प्रकाशन भी हो गया था. कायदे से 3ए के प्रकाशन के बाद उस इलाके में जमीनों की रजिस्ट्री, खसरा और बटांकन का काम नहीं हो सकता. लेकिन इसके बाद भी 32 प्लाटों को 247 छोटे प्लॉटों में बांटकर करोड़ों रुपए का मुआवजा ले लिया. केवल निजी ही नहीं 51 हेक्टेयर सरकारी घास जमीन को निजी कर मुआवजे का बंदरबाट कर लिया।