
नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे में यात्री सुरक्षा के बारे में सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता को दोहराते हुए सोमवार को राज्यसभा में कहा कि नई विकसित टक्कर रोधी प्रणाली कवच अगले पांच वर्षों में पूरे नेटवर्क पर लगा दी जायेगी।
श्री वैष्णव ने सदन में रेल संशोधन (विधेयक) 2024 पर करीब तीन घंटे से अधिक चली चर्चा का जवाब देते हुए महाकुंभ के दौरान नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के दौरान सीसी टीवी कैमरे बंद किये जाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई कैमरा बंद नहीं किया गया था।
रेल मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष के संशोधन प्रस्तावों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
श्री वैष्णव ने कहा कि नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन की घटना दुखद थी और इससे हमने सबक लेकर प्लेटफार्मों पर भीड़ नियंत्रण की एक नयी व्यवस्था का परीक्षण शुरू किया है। भीड से निपटने के लिए प्लेटफार्मों पर विशेष होल्डिंग एरिया बनाये जायेंगे। दिल्ली के आनंद विहार सहित चार स्टेशनों पर इसका परीक्षण चल रहा है। बडे स्टेशनों पर वार रूम बनाने के साथ संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जायेगा। भीड़ भाड़ वाले स्टेशनों पर उपलब्ध सीटों के बराबर ही टिकट दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान 13 हजार के बजाय 17 हजार अतिरिक्त ट्रेनें चलायी गयी।
रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा पर प्रतिवर्ष एक लाख 14 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया जा रहा है और इसका असर भी दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष दुर्घटना की औसत 71 से कम होकर 31 पर आ गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार दुर्घटना की जड़ का पता लगाकर समस्या का समाधान कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी के समय में लगाये गये टक्कर रोधी डिवाइस की तकनीकी जांच नहीं की गयी थी और इसलिए वे 2012 में विफल होने पर वापस ले लिये गये। मोदी सरकार ने इस तरह के उपकरणों के प्रमाणीकरण के प्रमाण पत्र लेकर उन्हें लगाया है। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई 2024 को कवच के चौथे संस्करण का प्रमाणीकरण किया गया है और इसके बाद से ये उपकरण लगाये जा रहे हैं। दस हजार उपकरणों का टेंडर जारी किया गया है और अगले पांच वर्षों में यह प्रणाली लगाये जाने का संकल्प है।
रेल मंत्री ने कहा कि यह विधेयक सरलीकरण का विधेयक है और इसमें जोन तथा मंडल स्तर के रेलवे प्रबंधकों की वित्तीय शक्ति बढायी गयी है और इसीलिए रेलवे में आज तेजी से काम हो रहा है। विपक्ष के राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न रेल परियोजनाओं में राज्य सरकारों का सहयोग लेकर सहकारी संघवाद की भावना से काम किया जा रहा है। गैर भाजपा शासित राज्यों में भी बजट का पर्याप्त आवंटन किया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों के साथ भेदभाव की बात निराधार है।
रेलवे बोर्डों में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर उठाये गये सवालों पर उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि रेलवे में तकनीकी लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इसे ध्यान में रखते हुए गतिशक्ति विश्वविद्यालय का गठन किया गया है। वहां से प्रशिक्षित लोगों के कारण रेलवे में नया विश्वास पैदा हुआ है।
श्री वैष्णव ने कहा कि सरकार पिछले दस वर्षों से रेलवे में लगातार सुधार कर रही है। इस दौरान 34 हजार किलोमीटर लाइनें बनायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि डीजल और विद्युत ट्रेनों पर ट्रेन संचालन की लागत में बहुत अंतर होता है और विद्युत ट्रेनें ज्यादा किफायती होती हैं। ट्रेनों में शौचालयों को लेकर उठाये गये सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ट्रेनों में तीन लाख से अधिक शौचालय बनाये गये हैं और इनमें निरंतर सुधार किया जा रहा है।
रेलवे में भर्ती के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब तक पांच लाख से अधिक लोगों की रेलवे में भर्ती की गयी है।
रेलवे भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि परीक्षाएं सुचारू रूप से आयोजित की गयी हैं। सरकार रेलवे कर्मचारियों की कार्य क्षमता बढाने और प्रशिक्षण के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है। तीन हजार से अधिक रेलवे स्टेशनों को डिजिटल किया गया है। रेलवे नेटवर्क में 26 हजार से अधिक फोग डिवाइस लगाये गये हैं। पुरानी पड़ चुकी पचास हजार किलोमीटर लाइनों को बदला गया है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए आरामदायक कक्षों का निर्माण किया गया है। पचास प्रतिशत लोकोमोटिव में शौचालय बनाये गये हैं और महिला लोकापायलटों का विशेष ध्यान रखा गया है। कांग्रेस के चीन के रेल नेट वर्क से तुलना किये जाने से संबंधी आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने रेलवे में सुधार का कार्य 1981 में शुरू किया था जबकि भारत में यह कार्य 2014 में मोदी सरकार के समय शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने 60 वर्षों के शासनकाल में रेलवे में सुधारों पर ध्यान नहीं दिया।