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0 छत्तीसगढ़ के ख्यातनाम साहित्यकार हैं श्री शुक्ल
0 प्रदेश से किसी साहित्यकार को पहली बार मिलेगा सम्मान 
0 'नौकर की कमीज' पर बन चुकी है फिल्म
0 पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपए, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हिंदी के शीर्ष कवि एवं प्रख्यात कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। इसकी घोषणा शनिवार नई दिल्ली में ज्ञानपीठ चयन समिति ने की है। छत्तीसगढ़ से किसी साहित्यकार को पहली बार ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा। यह हिन्दी के 12वें साहित्यकार हैं, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में चयन किया गया है।

चर्चित उपान्यास “नौकर की कमीज” और काव्य संग्रह “वह आदमी चला गया गरम कोट पहनकर विचार की तरह” के लेखक 88 वर्षीय श्री शुक्ल को यह पुरस्कार उनके आजीवन लेखन के लिए दिया जा रहा है। ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि श्री शुक्ल को इस पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपए की नकद राशि, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में कृषि काॅलेज से सेवानिवृत्त श्री शुक्ल को उनके दूसरे उपन्यास ‘दीवार में खिड़की रहा करती थी’ के लिए 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह साहित्य अकादमी के शोधकर्ता भी हैं।
श्री शुक्ल ने सातवें दशक में अपना लेखन शुरू किया था और अपने पहले कविता संग्रह “वह आदमी चला गया गरम कोट पहनकर विचार की तरह” से हिंदी में चर्चित हुए थे। इससे पहले 1971 में उनकी काव्य पुस्तिका “लगभग जय हिंद” नाम से अशोक वाजपेयी द्वारा संपादित ‘पहचान’ शृंखला में छपी थी। श्री शुक्ल 1981 में प्रकाशित “ नौकर की कमीज” उपन्यास से साहित्य में स्थापित हुए थे। इस उपन्यास पर एक फ़िल्म भी बन चुकी है।
छत्तीसगढ़ के राजनादगांव में 01 जनवरी 1937 में जन्मे श्री शुक्ल ने जबलपुर से कृषि विज्ञान में स्नात्कोत्तर की उपाधि हासिल की थी और रायपुर में अध्यापन करने लगे थे।

अमेरिकन नाबोकॉव अवॉर्ड पाने वाले पहले एशियाई
विनोद कुमार शुक्ल कविता और उपन्यास लेखन के लिए गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, वीरसिंह देव पुरस्कार, सृजनभारती सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, पं. सुन्दरलाल शर्मा पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए 1999 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार भी मिल चुका है। हाल के वर्षों में उन्हें मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवॉर्ड भी दिया गया है। पिछले ही साल उन्हें पेन अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के लिए नाबोकॉव अवॉर्ड से सम्मानित किया था। एशिया में इस सम्मान को पाने वाले वे पहले साहित्यकार हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित साहित्यकार, उपन्यासकार एवं कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मान की घोषणा पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताया और कहा कि शुक्ल जी ने छत्तीसगढ़ को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य  विचारों और संवेदनाओं का अद्वितीय संगम है, जो जनमानस को छूता है। उनकी रचनाओं में गहराई, मौलिकता और मानवीय सरोकारों की झलक मिलती है। उनका रचना संसार छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू को भारत के कोने-कोने में पहुंचाता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ज्ञानपीठ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होना न केवल उनके सृजन की पहचान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक वैभव की भी मान्यता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने उनके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है।

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